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Know When Is Kamika Ekadashi 2022 (कामिका एकादशी)? महत्त्व, शुभ मुहूर्त एंड Download व्रत कथा In PDF
पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (Ekadashi Tithi) को कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2022) कहते है । आइए जानते हैं पापों से मुक्ति और मोक्ष दिलाने वाली कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) 2022 में कब हैं? महत्त्व, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा और पारण समय, कामिका एकादशी कब हैं, कामिका एकादशी पारण समय, कामिका एकादशी 2022, कामिका एकादशी व्रत कथा, Kamika Ekadashi in Hindi, Kamika Ekadashi Vrat katha, Kamika Ekadashi kab hai, Kamika Ekadashi shubh muhurt
Last updated on July 24th, 2022 at 08:33 am
Kamika Ekadashi कामिका एकादशी का व्रत सावन माह में रखा जाता है। यह व्रत रखने से भक्तों को मोक्ष के साथ-साथ सभी पापों से भी मुक्ति मिलती है। सावन का पावन महीना (Sawan Month 2022) 14 जुलाई 2022 से शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में इस माह को बहुत पवित्र माह माना जाता है । धार्मिक दृष्टि से यह माह बहुत ही उत्तम कहा गया है । पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (Ekadashi Tithi) को कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2022) कहते है । आइए जानते हैं पापों से मुक्ति और मोक्ष दिलाने वाली कामिका एकादशी Kamika Ekadashi 2022 में कब हैं? महत्त्व, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा और पारण समय, कामिका एकादशी कब हैं, कामिका एकादशी पारण समय, कामिका एकादशी 2022, कामिका एकादशी व्रत कथा, Kamika Ekadashi in Hindi, Kamika Ekadashi Vrat katha, Kamika Ekadashi 2022 kab hai, Kamika Ekadashi shubh muhurt
इस वर्ष कामिका एकादशी 24 जुलाई 2022 दिन रविवार को हैं ।
मान्यता हैं कि, कामिका एकादशी का व्रत करने से सभी तीर्थों में स्नान के समान ही पुण्य प्राप्त होता है, समस्त पापों का नाश होता है और ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिलती है । भगवान विष्णु के आशीर्वाद से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
कामिका एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त (Kamika Ekadashi 2022 Shubh Muhurt)
विवरण | तिथि | समय |
---|---|---|
तिथि का प्रारंभ | 23 जुलाई 2022 | 11:27 AM |
तिथि का समापन | 24 जुलाई 2022 | 1:45 PM |
व्रत पारण का समय | 25 जुलाई 2022 | 05:38 AM to 08:22 AM |
कामिका एकादशी 2022 पूजन विधि
- एकादशी के दिन व्रती को प्रात:काल नित्य कर्म से निवृत होकर स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करना चाहिए ।
- इसके बाद घर के मंदिर में दीप जलाए और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या मूर्ति को गंगाजल से अभिषेक करके स्थापित करें।
- भगवान को पूजा में पीले फूल, पीले फल व मिष्ठान इत्यादि अर्पित करें।
- भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते जरुर अर्पित करें, क्यूकि बिना तुलसी के पत्ते के उनकी पूजा अधूरी मानी जाती हैं और बिना तुलसी दल के भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते ।
- इसके पश्चात भगवान का ध्यान करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय“ का मंत्र का उच्चारण करें ।
- पूजा के पश्च्यात भगवन विष्णु की आरती करें और हाथ जोड़कर उनका आशीर्वाद लें ।
- रात को सोने के बजाय भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
- यह व्रत दशमी तिथि की रात्रि से शुरू होकर द्वादशी तिथि के प्रात:काल में दान कार्यो के बाद समाप्त होता है। ध्यान रखें इस दिन भगवन विष्णु के साथ साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी करें ।
कामिका एकादशी व्रत का महत्व (Kamika Ekadashi 2022 Vrat Importance)
कामिका एकादशी का व्रत (Kamika Ekadashi 2022) रखने और भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजन करने पर भक्तों को भगवान की असीम कृपा प्राप्त होती है । कामिका एकादशी व्रत से न केवल भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है बल्कि पितृ भी प्रसन्न होकर अपने लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं । धार्मिक मान्यता है कि कामिका एकादशी व्रत करने से सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं । भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों के जाने –अनजाने में हुए पाप नष्ट हो जाते है तथा मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है । उपासक के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं । कहा जाता है कि ऐसे व्यक्ति जो पाप से भयभीत होते हैं उन्हें कामिका एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए ।
कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2022) व्रत कथा
अर्जुन ने कहा: हे प्रभु! मैंने आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप मुझे श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनाने की कृपा करें। इस एकादशी का नाम क्या है? इसकी विधि क्या है? इसमें किस देवता का पूजन होता है? इसका उपवास करने से मनुष्य को किस फल की प्राप्ति होती है?
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे श्रेष्ठ धनुर्धर! मैं श्रावण माह की पवित्र एकादशी की कथा सुनाता हूँ, ध्यानपूर्वक श्रवण करो। एक बार इस एकादशी की पावन कथा को भीष्म पितामह ने लोकहित के लिये नारदजी से कहा था।
एक समय नारदजी ने कहा: हे पितामह! आज मेरी श्रावण के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की इच्छा है, अतः आप इस एकादशी की व्रत कथा विधान सहित सुनाइये।
नारदजी की इच्छा को सुन पितामह भीष्म ने कहा: हे नारदजी! आपने बहुत ही सुन्दर प्रस्ताव किया है। अब आप बहुत ध्यानपूर्वक इसे श्रवण कीजिए- श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। इस एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है। कामिका एकादशी Kamika Ekadashi 2022 के उपवास में शंख, चक्र, गदाधारीभगवान विष्णु का पूजन होता है। जो मनुष्य इस एकादशी को धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें गंगा स्नान के फल से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण में केदार और कुरुक्षेत्र में स्नान करने से जिस पुण्य की प्राप्ति होती है, वह पुण्य कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करने से प्राप्त हो जाता है।
भगवान विष्णु की श्रावण माह में भक्तिपूर्वक पूजा करने का फल समुद्र और वन सहित पृथ्वी दान करने के फल से भी ज्यादा होता है।
व्यतिपात में गंडकी नदी में स्नान करने से जो फल प्राप्त होता है, वह फल भगवान की पूजा करने से मिल जाता है।
संसार में भगवान की पूजा का फल सबसे ज्यादा है, अतः भक्तिपूर्वक भगवान की पूजा न बन सके तो श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी का उपवास करना चाहिये।
आभूषणों से युक्त बछड़ा सहित गौदान करने से जो फल प्राप्त होता है, वह फल कामिका एकादशी के उपवास से मिल जाता है।
जो उत्तम द्विज श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी का उपवास करते हैं तथा भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, उनसे सभी देव, नाग, किन्नर, पितृ आदि की पूजा हो जाती है, इसलिये पाप से डरने वाले व्यक्तियों को विधि-विधान सहित इस उपवास को करना चाहिये।
संसार सागर तथा पापों में फँसे हुए मनुष्यों को इनसे मुक्ति के लिये कामिका एकादशी Kamika Ekadashi 2022 का व्रत करना चाहिये।
कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) के उपवास से भी पाप नष्ट हो जाते हैं, संसार में इससे अधिक पापों को नष्ट करने वाला कोई और उपाय नहीं है।
हे नारदजी! स्वयं भगवान ने अपने मुख से कहा है कि मनुष्यों को अध्यात्म विद्या से जो फल प्राप्त होता है, उससे अधिक फल कामिका एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। इस उपवास के करने से मनुष्य को न यमराज के दर्शन होते हैं और न ही नरक के कष्ट भोगने पड़ते हैं। वह स्वर्ग का अधिकारी बन जाता है।
जो मनुष्य इस दिन तुलसीदल से भक्तिपूर्वक भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, वे इस संसार सागर में रहते हुए भी इस प्रकार अलग रहते हैं, जिस प्रकार कमल पुष्प जल में रहता हुआ भी जल से अलग रहता है।
तुलसीदल से भगवान श्रीहरि का पूजन करने का फल एक बार स्वर्ण और चार बार चाँदी के दान के फल के बराबर है। भगवान विष्णु रत्न, मोती, मणि आदि आभूषणों की अपेक्षा तुलसीदल से अधिक प्रसन्न होते हैं।
जो मनुष्य प्रभु का तुलसीदल से पूजन करते हैं, उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हे नारदजी! मैं भगवान की अति प्रिय श्री तुलसीजी को प्रणाम करता हूँ।
तुलसीजी के दर्शन मात्र से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और शरीर के स्पर्श मात्र से मनुष्य पवित्र हो जाता है। तुलसीजी को जल से स्नान कराने से मनुष्य की सभी यम यातनाएं नष्ट हो जाती हैं। जो मनुष्य तुलसीजी को भक्तिपूर्वक भगवान के श्रीचरण कमलों में अर्पित करता है, उसे मुक्ति मिलती है।
इस कामिका एकादशी की रात्रि को जो मनुष्य जागरण करते हैं और दीप-दान करते हैं, उनके पुण्यों को लिखने में चित्रगुप्त भी असमर्थ हैं। एकादशी के दिन जो मनुष्य भगवान के सामने दीपक जलाते हैं, उनके पितर स्वर्गलोक में अमृत का पान करते हैं।
भगवान के सामने जो मनुष्य घी या तिल के तेल का दीपक जलाते हैं, उनको सूर्य लोक में भी सहस्रों दीपकों का प्रकाश मिलता है।
कथा
एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मरे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।
इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।
इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं। इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं।
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