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महाराणा प्रताप का जीवन परिचय उनकी जयंती पर शुभकामना सन्देश
Who was Maharana Pratap? महाराणा प्रताप का जीवन परिचय उनकी जयंती पर शुभकामना सन्देश जयंती इस वर्ष 2 जून 2022 को मनाई जायेगी
Last updated on August 23rd, 2023 at 08:09 am
महाराणा प्रताप एक महान और परम पराक्रमी राजा थे जिनका व्यक्तित्व देश के युवाओं को आज भी प्रेरित करता हैं ऐसे शूरवीर और प्रतापी राजा की जयंती इस वर्ष 2 जून 2022 को मनाई जायेगी। महाराणा प्रताप की जयंती बहुत धूम धाम से मनाई जाती हैं और राजस्थान के कई जगहों में शोभा यात्रा निकाली जाती हैं। इस पोस्ट में हम महाराणा प्रताप की जीवनी Maharana Pratap ki Jivani aur unki jayanti par whatsapp facebook twitter Instagram etc social media platforms par share karne layak शुभकामना सन्देश, Quotes, Maharana Pratap Image Quotes, Maharana pratap jayanti badhai sandesh
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, महाराणा प्रताप जयंती प्रतिवर्ष 9 मई को पड़ती हैं। जबकि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। इसके अनुसार इस वर्ष महाराणा प्रताप की जयंती 2 जून 2022 को मनाई जायेगी राजस्थान में महाराणा प्रताप की जयंती हिंदी कैलेंडर के अनुसार प्रति वर्ष मनाई जाती हैं
महाराणा प्रताप कौन थे? (maharana pratap kaun the)
महाराणा प्रताप उदयपुर , मेवाड़ में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे।
इनका जन्म 9 मई 1540 को वर्तमान राजस्थान के कुम्भलगढ़ में हुआ था ।
उनके पिता महाराजा उदयसिंह और माता रानी जयवन्ताबाई थी। उन्हें बचपन और युवावस्था में कीका नाम से भी पुकारा जाता था। ये नाम उन्हें भीलों से मिला था जिनकी संगत में उन्होंने शुरुआती दिन बिताए थे। भीलों की बोली में कीका का अर्थ होता है – ‘बेटा’।
आज भी उनकी वीरता के चर्चे हर किसी की जुबान पर है । उनका नाम इतिहास में वीरता, पराक्रम, शौर्य, त्याग और दृढ प्रण के लिये अमर है। महाराणा प्रताप ने कभी भी मुगलों की गुलामी स्वीकार नहीं की। महाराणा प्रताप को अपनी मातृभूमि से बहुत प्यार था और उन्होंने अकबर के साथ कभी भी संधि को स्वीकार नहीं किया ।
जिस समय पूरे हिंदुस्तान पर अकबर ने अपना शासन चलाया और पूरा हिंदुस्तान अकबर के सामने नतमस्तक हो गया उस समय सिर्फ एक ही ऐसी रियासत थी जो अकबर के सामने कभी ना झुकी वो रियासत थी मेवाड़ रियासत और यहां के शासक थे महाराणा प्रताप सिंह।
महाराणा प्रताप ने कसम खा ली थी कि
“मैं घास की रोटी और जमीन पर लेट जाऊंगा, परंतु किसी की अधीनता कभी स्वीकार नहीं करूंगा”
और इस कसम पर वह हमेशा अटल रहे और अपने राज्य मेवाड़ को कभी मुगलों के अधीन नहीं होने दिया।
महाराणा प्रताप के घोड़े का क्या नाम था ?
महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था जो उनका सबसे प्रिय था।
महाराणा प्रताप का नाम आते ही उनके घोड़े का नाम भी हर किसी के जुबान पर अपने आप आ जाता हैं । महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था जो उनका सबसे प्रिय था। चेतक की फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी ने कई लड़ाइयां जीतने में अहम भूमिका निभाई।
उसने महाराणा प्रताप के साथ मुगलों के खिलाफ कई युद्ध लडें ।जिनमे से सबसे ऐतिहासिक युद्ध हल्दीघाटी 1576 में हुआ ।हल्दीघाटी के युद्ध में प्रताप ने मानसिंह के नेतृत्व में अकबर की एक विशाल सेना से युद्ध किया। इस युद्ध में राजपूतों की ओर से 20 हजार सैनिकों ने मुगलों के 80 हजार सैनिकों का सामना किया था । हल्दीघाटी के युद्ध में चेतक को भी गंभीर चोटें आईं, जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई।
महिलाओं का सम्मान 👱
महाराणा प्रताप ने हमेशा महिलाओं का सम्मान किया हैं । इससे जुडी एक घटना इस लेख में हम आपसे साझा कर रहें है
हल्दीघाटी युद्ध के पश्चात अकबर ने अब्दुल रहीम खान ए खाना को अजमेर का सूबेदार बनाया और एक ही आदेश दिया महाराणा प्रताप को जिन्दा या मुर्दा पकड़ने का । इस दौरान महाराणा प्रताप के बेटे अमर सिंह को रहीम के कैंप का पता चल जाता है। उन्होंने रहीम की सेना को परास्त करके उनकी महिलाओं को बंदी बना लिया। अमर सिंह ने तर्क दिया कि जो मुगल उनके साथ करते हैं वहीं वो उनके बच्चों के साथ करेंगे। महाराणा प्रताप को जब इस बात का पता चला तो वो अपने पुत्र पर क्रोधित हुए और ससम्मान मुस्लिम महिलाओं को उनके कैंप भिजवाने का आदेश दिया । महाराणा प्रताप ने कहा चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम नारी स्त्री हमेशा सम्मानीय और भारतीय संस्कृति में आदरणीय रही है।
इसका परिणाम यह होता है कि रहीम जो मेवाड़ पर हमला करने आ रहे थे वो अपनी सेना लेकर पीछे हट जाते है और अकबर को जाकर मना कर देते है कि प्रताप इतने महान हैं, की वह उनके खिलाफ युद्ध नहीं कर सकते हैं। इसके बाद रहीम को उनके सुबेदारी पद से हटा दिया गया।
अब्दुल रहीम ही बाद में श्रेष्ठ कवि रहीम के रूप में पहचाने गए।
अब्दुल रहीम ने ही महाराणा के सम्मान में लिखा था
” जो धृढ़ राखे धर्म को तेहि राखे करतार”।रहीम
अकबर महाराणा प्रताप को मान सम्मान सब देने को तैयार था बस उन्हें अकबर को बादशाह मानना था लेकिन इन्हे वो स्वीकार नही था।
महाराणा प्रताप की मृत्यु
महाराणा प्रताप की 19 जनवरी 1597 को सिर्फ 57 वर्ष की आयु में चावड़ में उनका देहांत हो गया।
प्रताप की मृत्यु पर अकबर की प्रतिक्रिया
अकबर और महाराणा प्रताप एक दुसरे के सबसे बड़े शत्रु थे पर उनकी यह लड़ाई कोई व्यक्तिगत द्वेष के कारण नहीं थी बल्कि अपने सिद्धान्तों की लड़ाई थी। अकबर एक क्रूर शाशक था जो अपनी क्रूरता से अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था, जबकि दूसरी तरफ महाराणा प्रताप जी थे जो अपनी भारत माँ मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए संघर्ष कर रहे थे।
महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर को बहुत दुःख हुआ क्योंकि वह सच्चे मन से महाराणा प्रताप के गुणों का प्रशंसक था और वह यह भी जनता था की इस धरती पर महाराणा प्रताप जैसा वीर कोई नहीं है । महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर सुन अकबर मौन हो गया और उसकी आँखों में आंसू आ गये।
महाराणा प्रताप की जयंती पर हार्दिक शुभकामना सन्देश
करता हुं नमन मै महाराणा प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है। तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है॥ महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामना
हर मां कि ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा करे। देख के उसकी शक्ती को, हर दुशमन उससे डरा करे॥ महाराणा प्रताप जयंती की बधाई..
शूरवीर सूर्योदय शिरोमणि क्षत्रिय कुल सम्राट स्वाभिमान के प्रतीक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप भारत के धर्म,संस्कृति,नीति,सिद्धांत,देश भक्ति व स्वाभिमान के प्रतीक है , महाराणा की देशभक्ति से पूरी दुनिया प्रेरणा लेती है ॥
भारत माँ का वीर सपूत, हर हिन्दुस्तानी को प्यारा है।
महाराणा प्रताप के चरणों में शत-शत नमन हमारा है।
झुके नही वह मुगलोँ से,अनुबंधों को ठुकरा डाला
मातृ भूमि की भक्ति का, नया प्रतिमान बना डाला
जिसकी तलवार की छलक से, अकबर का दिल घबराता था।
वो अजर-अम्र वो शूरवीर तो महाराणा प्रताप कहलाता था।
जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी। फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥ महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं..
मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान उसकी सबसे बङी कमाई होती है।अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए। ~महाराणा प्रताप
चेतक पर चढ़ जिसने, भाला से दुश्मन संघारे थे, मातृ भूमि के खातिर , जंगल में कई साल गुजारे थे।
ताजमहल अगर एक प्रेम की निशानी है, तो ‘गढ़ चितौड़’ एक वीर की कहानी है।
हिंदुआ सूरज, भारत रत्न, वीर शिरोमणि, वीरता और दृढ संकल्प के प्रतिक, प्रखर स्वाभिमानी, मर्यादा पुरुषोत्तम, महान योद्धा जिन्होंने राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया| ऐसे वीर शिरोमणि, प्रखर राष्ट्रभक्त, राष्ट्रिय गौरव महाराणा प्रताप जी की जयंती पर शुभकामनाएं|
यमराज स्वयं बन जाते जब, घोड़े चेतक पर चढ़ते थे,
क्षत-विक्षत दुश्मन हो जाते, नर मुंड हवा में उड़ते थे.
महिषासुर कौन था And माँ दुर्गा ने महिषासुर का अंत क्यों किया
महाराणा प्रताप पर कविता
भस्म उड़ा कर मिट्टी की, सर हाथी के चढ़ जाता था। राणा प्रताप तेरा घोड़ा भी रजपूती धर्म निभाता था ।। चेतक की हस्ति मिटा सकें अकबर तेरी औकात नहीं। मेरे ह्रदय में राणा धड़कता है जिसका तुमको आभास नही ।। रामप्रसाद से हाथी ने जीवन को अर्पित कर डाला । सौगंध वीर महाराणा की एक कण भी मुख में नही डाला ।। रोइ थी हल्दी घाटी मंजर रक्त विलीन था। दिल्ली की गद्दी कंपि है जिसपर अकबर आसीन था।। चीख पड़ी है हल्दी घाटी चेतक अध बेहोश है। अखंड सौर्य ले उड़ा है चेतक मृत्यु तक ख़ामोश है।। हरण करे तलवार प्राण जिन्हें बरन करे म्रत्यु रानी। लाखों जाने अर्पित हैं चेतक को छोड़ दे महारानी।। चेतक की चिंघाड़ बिना मेरा सूर्य उदय क्या होयगा। चेतक की यादों में राणा पल पल आँख भिगोएगा।। चेतक चढ़के युद्ध में दुश्मन भगा भगा के मारे हैं। उछल उछल के चेतक ने कई दबा दबा के गाड़े हैं।। गिरा धरा पर धड़ चेतक का कैसी मदहोशी छाई है। आँख खोल मेरे प्यारे चेतक आगे और लड़ाई हैं।। चिर हवा को उड़ता चेतक पवन देख थर्राता है । महाराणा में तेरा सिंघासन मृत्यु तक का नाता है।। ठुमक ठुमक के चेतक चलता नंगी तलवार दीवानी हैं। घोड़े हाथी बलिदान दिये इतिहासों में अमर कहानी है।। जय महाराणा
महाराणा प्रताप स्वाभिमान ,त्याग ,धैर्य के प्रतीक हैं। जिनकी निष्ठा अपने राज्य ,संस्कृति ,कुल की मर्यादा और लोगो के प्रति अडिग थी उन अदम्य साहस के धनी महाराणा प्रताप जी को उनके जन्म दिवस पर हम कोटि कोटि प्रणाम करते हैं।
महाराणा प्रताप का इतिहास (Maharana Pratap History in Hindi) Who was Maharana Pratap? महाराणा प्रताप का जीवन परिचय उनकी जयंती पर शुभकामना सन्देश आपको पसंद आया होगा
अपनी मातृभूमि मेवाड़ और अपने कुल के मान सम्मान के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले महाराणा प्रताप को मेरा सदर नमन हैं।