Never Heard and Interesting Facts About Ramayana in Hindi रामायण से जुड़े कुछ रोचक अनकहे और अनसुने तथ्य
यहाँ पढ़िए रामायण से जुड़े कुछ रोचक अनकहे और अनसुने तथ्य हिंदी में,amazing never heard and Interesting Facts About Ramayana in Hindi Lord Rama जय श्री राम
रामायणहिन्दुओका सबसे पवित्रग्रंथो में एकहै,इसमेंकईऐसीकथाएंहैंजिन्हेआमतौरपरतोसबलोगजानतेहैं, Interesting Facts About Ramayana in Hindi लेकिनकुछऐसीबातोंकाभीवर्णनइसमेंमिलताहै जिसे अधिकतरलोग नहीं जानते हैं। रामायण से जुड़े कुछ रोचक अनकहे और अनसुने तथ्य आपको इस पोस्ट में मिलेंगे।
इसब्लॉगमेंहमआपकोबताएँगे रामायण से जुड़े कुछ रोचक अनकहे और अनसुने तथ्य And Interesting Facts About Ramayana in Hindi केबारेमें–
1. आखिर कैकेयी ने भगवान राम के लिए 14 वर्ष का ही वनवास क्यों मांगा?
कैकेयदेशकेराजाअश्वपतिकीपुत्रीकैकेईथीं। महारानी कैकेयीनेजबराजादशरथसे श्री रामकेलिए14 वर्षकावनवासमाँगातोइसकेपीछेप्रमुखकारणबतायेजातेहैं।
1) दरअसल, त्रेतायुग में प्रशासनिक नियम अनुसार, अगर कोई राजा14 वर्ष के लिए अपना सिंहासन छो़ड़ देता था, तो उसे दोबारा राजा बनने का अधिकार नहीं होता था।यह नियम वाल्मीकि रामायण के अयोध्याखंड में लिखित है।
कैकेयीयहबातजानतीथी।अतःउन्होंनेठीक14 वर्षकावनवासहीमाँगा।यहअलगबातहैकिबादमेंभरतनेसिंहासनपरबैठनेसेमनाकरदियाऔरवनवाससमाप्तकरनेकेबाद श्री रामहीसिंहासनपरबैठे।
इसीकेचलतेकैकेयीनेराजादशरथसे श्री रामकेलिए14 वर्ष कावनवासमांगाथा।वहअपनेबेटे भरत कोराजगद्दीपरदेखनाचाहतीथीं, लेकिनअपनेभाईसेअसीमप्रेमकरनेवालेभरतनेऐसानहींहोनेदिया।उन्होंनेखुदराजगद्दीकात्यागकरदियाऔरवनवासीबनगए।इसकेबादजबरावणकावधकरश्रीरामवापसअयोध्यालौटेतोभरतनेसम्मानपूर्वकभगवानरामकोउनकासिंहासनवापससौंपदिया।
इसलिए देवताओंकेअनुरोधपरदेवीसरस्वतीकैकेयीकीदासीमंथराकीमति फेरदेतीहैं।दासीमंथरारामकेखिलाफजोकुछभीकैकेयीसेकहतीहैंवोअसलमेंदेवीसरस्वतीहोतीहैं।इसतरहवनवासकेजरिएभगवानरामअपनाउद्देश्यपूराकरनेमेंसफलहुए।
रामायण से जुड़े कुछ रोचक अनकहे और अनसुने तथ्य And Interesting Facts About Ramayana in Hindi
2. 14 वर्ष तक लक्ष्मण जी के न सोने का क्या कारण हैं?
जबलक्ष्मण जी जारहेथेतबइससबसेविकटक्षणोंमेंभीउर्मिलाआंसूनबहासकीक्योंकिउनकेपतिलक्ष्मणनेउनसेएकऔरवचनलियाथाकिवहकभीआंसूनबहाएंगी, क्यूंकिअगरवहअपनेदुःखमेंडूबीरहेंगीतोपरिजनोंकाख्यालनहींरखपाएंगी।
इससंबंधएककथापढ़नेकोमिलतीहै,हालांकिइसकथाकान तो वाल्मीकिरामायणमेंजिक्रहैऔरनहीरामचरितमानसमें।कथायहहैकिरावणकेपुत्रमेघनादकोयहवरदानथाकिजोव्यक्ति 14 वर्षोंतकसोयानहोवहीउसेहरासकताहै।हालांकिलक्ष्मणअपनेभाईश्रीरामऔरभाभीसीताकीसुरक्षाऔरसेवामेंइतनेलगेरहेकिवे 14 वर्षतकसोहीनहींपाए।कथाअनुसारउनकेबदलेउर्मिला 14 वर्षतकसोतीरही।
और पढ़े –>रावण के जन्म की कथा Birth of Ravan वैदिक कहानियां Quotes and Images रावणकेवधकेबादश्रीराम, सीताऔरलक्ष्मणवापसअयोध्यालौटआएऔरवहांप्रभुश्रीरामकेराजतिलककीतैयारीहोनेलगी।उससमयलक्ष्मणजोर–जोरसेहंसनेलगे।जबलक्ष्मणसेइसहंसीकाकारणपूछातोउन्होंनेजोकहाकि सारी उम्रउन्होंनेइसीघड़ीकाइंतजारकियाथाकिमैंअबश्रीरामकाराजतिलकहोतेहुएदेखूंगा, लेकिनअबउन्हेंनिद्रादेवीकोदियागयावोवचनपूराकरनाहोगाजोउन्होंनेवनवासजानेकेपहलेदियाथा।
“सुमित्रानन्दन, तुम भूलकर भी गर्व मत करना की मेघनाद का वध मैंने किया है। मेघनाद को धराशायी करने की शक्ति विश्व में किसी के पास नहीं थी। यह तो दो पतिव्रता नारियों का भाग्य था।”
अबआपसोचमेंपड़गयेहोंगेकिनिद्रादेवीकेप्रभावमेंआकरअगरउर्मिला 14 सालतकसोतीरहीं, तोसासऔरअन्यपरिजनोंकीसेवाकरनेकालक्ष्मणकोकियावादाउन्होंनेकैसेपूराकिया।तोउसकाउत्तरभीसीधा है। वो यह किसीतामातानेअपनाएकवरदानउर्मिलाकोदे दियाथा। उस वरदान केअनुसारउर्मिलाएकसाथतीनकार्यकरसकतीथीं।
3. भगवान राम और लक्ष्मण जी कि मृत्यु कैसे हुई?
हनुमान जी के होते हुए भगवान राम को काल यानि यमराज छू भी नहीं सकता था क्योकि हनुमान जी रामजी के प्राणरक्षक और उनके सबसे बड़े भक्त थे क्योकि वह खुद एक भगवान शिव के अवतार थे इसीलिए उनके पास बलशाली शक्तियां थी जिसकी वजह से बड़े से बड़ा देवता भी उनके नाम से घबराता था।
भगवान श्री राम की मृत्यु का समय नज़दीक आ चुका था इसीलिए ब्रह्मा जी ने यमराज को राम जी को यह बात बताने के लिए पृथ्वीलोक भेजा लेकिन हनुमान जी के होते हुए किसी भी तरह की बुरी शक्ति अयोध्या में प्रवेश नहीं कर सकती थी इसीलिए यमराज भी प्रवेश करने में असमर्थ रहे।
फिर यमराज ने एक साधू का वेश धारण करके अयोध्या में प्रवेश किया और राम से मिलने का आग्रह किया और राम से बोले की हे प्रभु मैं आपसे अकेले में कुछ बात करना चाहता हूँ जिसके लिए आपको किसी भी व्यक्ति को इस कक्ष के अंदर प्रवेश नहीं कर देना होगा और भगवान राम से वचन लिया की जो कोई भी हमारी बातो को सुनेगा आपको उसे मृत्यु दंड देना पड़ेगा और राम जी ने वचन दे दिया।
भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उस कक्ष के बाहर खड़ा किया और कहा की किसी को भी अंदर न आने दिया जाये।
उसी समय वहां दुर्वाशा ऋषि आ गए और उन्होंने प्रभु राम से मिलने की इच्छा जताई जिसके लिए पहले लक्ष्मण ने उन्हें बताया की वह अभी अंदर है इसीलिए आप कृपया थोड़ी प्रतीक्षा करे।दुर्वाशा ऋषि को गुस्सा आ गया और बोले की अगर तुम मुझे अंदर नहीं जाने दोगे तो मै राम को श्राप दे दूंगा।
इससे लक्ष्मण जी बहुत गंभीर समस्या में पड़ गए, उन्होंने सोचा की मै राम जी के ऊपर कोई हानि नहीं पहुँचने दे सकता इसीलिए खुद ही मृत्यु को प्राप्त कर लूंगा इसीलिए वह अंदर कक्ष में चले गए।
यह देख कर राम को न चाहते हुए भी वचन के अनुसार लक्ष्मण को मृत्यु दंड देना पड़ा उस समय राज्य से बाहर निकालना ही मृत्युदंड के सामान कहलाता था इसीलिए उन्होंने लक्ष्मण जी को अपने राज्य से बाहर निकाल दिया और लक्ष्मण जी ने सोचा की वह अपने भाई राम के बिना अधूरे है जिस कारणवश उन्होंने सरयू नदी में जाकर अपने प्राण त्याग दिए।
जिस तरह लक्ष्मण राम के बिना अधूरे थे उसी तरह से राम भी अपने भाई लक्ष्मण के बिना अधूरे थे उनके मृत्युदंड देने के बाद और यमराज की बातो को सुनके की अब उनके जाने का समय आ चुका है उन्होंने भी अपने प्राण त्याग करने का निश्चय किया और वह भी सरयू नदी के भूभाग तक जाकर विलुप्त हो गए और विष्णु लोक पहुँच गए।
4. भगवान श्री राम की मृत्यु के समय हनुमान जी कहाँ थे ?
हनुमान जी के होते हुए भी काल अयोध्या में प्रवेश कैसे कर गया इसके पीछे भी कहानी है इसके लिए भगवान राम को पहले से ही अपनी मृत्यु का आभास हो चुका था और उन्हें पता था की यमराज उनको लेने के लिए आ रहे है किन्तु हनुमान के होते हुए यह असंभव था।
इसीलिए भगवान राम ने अपने महल के फर्श के एक छेद में अपनी अंगूठी को गिरा दिया और हनुमान जी से उस अंगूठी को ढूंढ कर लाने का आदेश दिया | हनुमान जी अपनी आकृति उस छिद्र के सामान करके उस छिद्र में घुस गए।
उसके बाद वह सीधे नागलोक तक पहुँच गए वहां उनकी भेंट नागलोक के राजा वासुकी से हुई। हनुमान जी ने उन्हें नागलोक आने का कारण बताया | इसीलिए वासुकी हनुमान को एक अंगूठी के बहुत बड़े ढेर तक लेकर चले गए वहां बहुत सारी अंगूठी थी।
जब हनुमान उनमे से एक अंगूठी उठाते है तो वह राम जी की ही होती है उसी तरह से वह जब दूसरी उठाते है तो वह भी श्रीराम की ही थी उन्होंने वासुकी से इसका कारण पूछा तब उन्होंने हनुमान को बताया की समय चक्र और काल चक्र अपनी गति से घूम रहा है जो आया है वह जाएगा और जो जन्मा है वह मरेगा जरुर परन्तु आप उस समय और काल चक्र के नियम बदल रहे थे इस चक्र में भगवान राम की मृत्यु समय भी निश्चित हो चुकी थी आप उस कालचक्र में बाधक बन रहे थे इसीलिए आपको आपके कर्तव्य से भटकाने के लिए नागलोक भेजा गया ताकि काल अयोध्या में प्रवेश कर चुके।
इस तरह से हनुमान भी सभी बातें समझ गए तब उन्होंने सोचा की जब वह लौटेंगे तो भगवान राम नहीं होंगे और राम नहीं है तो मेरा ये शरीर भी किसी काम का नहीं और मेरे लिए यह दुनिया भी कुछ नहीं।
10. माता सीता को इतने समय तक बंदी रखने के बाद भी रावण ने उनको क्यों नहीं छुआ था?
अपनेविजयअभियानकेदौरानरावणजबस्वर्गपहुचें तोवहांउन्हेंरम्भानामकीएकअप्सरामिली।रावणउन परमोहितहोगए।रावणनेउन्हें छूनेकाप्रयासकियातोउन्होंने कहाकी-मैं आपके भाई कुबेर पुत्र नलकुबेर के लिए आरक्षित हूँ। इसलिए मैं आपकी पुत्रवधु के समान हूँ।पररावणअपनीशक्तिमेंइतनेचूरथे कीउन्होंने उनकी एकनामानी।जबनलकुबेरकोइसबातकापताचलातोउन्होंनेरावणकोश्रापदियाकीआजकेबादयदिरावणनेकिसीपराईस्त्रीकोउसकेइच्छाकेविरुद्धछुआतोउसकेमस्तकके100 टुकड़ेहोजायेंगे।
जिसदिनरावणसीताकाहरणकरकेअशोकवाटिकामेंलाये थे।उसीदिनब्रह्मा जी नेएकविशेषखीरइंद्रकेहाथोंदेवीसीतातकपहुंचाईथी।इंद्रनेदेवीसीताकेपहरेपरलगेराक्षसोंकोअपनेप्रभावसेसुलादिया।जिसकेबादइंद्रनेदेवीकोवोदिव्यखीरदीजिसेग्रहणकरदेवीसीताकीभूखप्यासशांतहोगयीऔरवोअशोकवाटिकामेंबिनाकुछभीखायेपिएरहसकी।
12. क्या रावण ने अपना बाजू काटकर वाद्ययंत्र बनाया था?
श्रीरामस्वयंभगवानविष्णुकेअवतारथे, वेचाहतेतोपलभरमेंहीरावणकोमारकरसीताकोउसकेदासत्वसेमुक्तकरासकतेथेलेकिनऐसाकरनेसेमर्यादाकाहननहोनेकाभयथाइसलिएश्रीरामनेसाधारणमनुष्यकीतरहहीपहलेसीताकीखोजकी, समुद्रपरबांधबनायाऔरमर्यादाअनुरूपहीयुद्धकररावणकावधकिया।भगवानश्रीरामनेपुत्र, पति, भाई, मित्र, पितातथाराजाआदिसभीसंबंधोंकानिर्वाहमर्यादाकेअनुरूपहीकिया।इसलिएभगवानश्रीरामकोमर्यादापुरुषोत्तमकहाजाताहै। दोस्तों आशा करता हूँ, रामायण से जुड़े कुछ रोचक अनकहे और अनसुने तथ्य And Interesting Facts About Ramayana in Hindi, आप सब को पसंद आई होंगी। कृपया इसे अपने मित्रो को शेयर करें।