दोस्तों , आशा करता हूँ आप सभी स्वस्थ एवं सुरक्षित होंगे, कोरोना के इस संक्रमण काल में देश में 24 मार्च 2020 को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन घोषित किया गया हैं। इस दौरान सभी देशवासियों को घर से बाहर न निकलने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपील किया हैं । इस लेख में हम आपको वनवास में भगवान श्री राम के पड़ाव के बारे में बताएँगे। इसके बाद कई लोगों ने सरकार को पत्र लिख कर और सोशल मीडिया के माध्यम से यह अनुरोध किया था कि दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत का पुनः प्रसारण किया जाए । इसके बाद सरकार ने दूरदर्शन पर रामानंद सागर द्वारा रचित सीरियल रामायण को पुनः प्रसारित करने की घोषणा की ताकि लोगों को घर पर मनोरंजन के साथ भारतीय संस्कृति का ज्ञानवर्धन भी होता रहे।
रामायण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रसंग प्रभु श्रीराम , लक्ष्मण और माता सीता का वनवास गमन हैं। आज हम आपको बताएँगे उन 14 वर्षो में प्रभु कहाँ कहाँ रुके और वहां क्या महत्वपूर्ण घटनाये घटित हुई।
14 वर्ष के वनवास में भगवान श्री राम के पड़ाव प्रमुख रूपसे17 है ,
जाने–मानेइतिहासकारऔरपुरातत्वशास्त्रीअनुसंधानकर्ताडॉ. रामअवतारनेश्रीरामऔरसीताकेजीवनकीघटनाओंसेजुड़ेऐसे200 सेभीअधिकस्थानोंकापतालगायाहै, जहांआजभीतत्संबंधीस्मारकस्थलविद्यमानहैं, जहांश्रीरामऔरसीतारुकेयारहेथे।वहांकेस्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओंआदिस्थानोंकेसमय–कालकीजांच–पड़तालवैज्ञानिकतरीकोंसेकी। आइये जाने उनस्थानों के बारे में जहाँ जहाँ प्रभु श्रीराम रुके:-
14 वर्ष के वनवास में भगवान श्री राम के पड़ाव
1.तमसानदी :राम जी को जब वनवास हुआ तो वाल्मीकि रामायण और शोधकर्ताओं के अनुसार वे सबसे पहले तमसा नदी पहुंचे, जो अयोध्या से 20 किमी दूर है।
3.कुरईगांव : इलाहाबाद जिले में ही कुरई नामक एक स्थान है, जो सिंगरौर के निकट गंगा नदी के तट पर स्थित है। गंगा के उस पार सिंगरौर तो इस पार कुरई। सिंगरौर में गंगा पार करने के पश्चात श्रीराम इसी स्थान पर उतरे थे। इस ग्राम में एक छोटा-सा मंदिर है, जो स्थानीय लोकश्रुति के अनुसार उसी स्थान पर है, जहां गंगा को पार करने के पश्चात राम, लक्ष्मण और सीताजी ने कुछ देर विश्राम किया था।
6.सतना :चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था। महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहा करते थे। वहां श्रीराम ने कुछ वक्त बिताया। अत्रि ऋषि ऋग्वेद के पंचम मंडल के द्रष्टा हैं। अत्रि ऋषि की पत्नी का नाम है अनुसूइया, जो दक्ष प्रजापति की चौबीस कन्याओं में से एक थी। जब राम आश्रम से विदा होने लगे तो अत्रि ऋषि उन्हें विदा करते हुए बोले, ‘हे राघव! इन वनों में भयंकर राक्षस तथा सर्प निवास करते हैं, जो मनुष्यों को नाना प्रकार के कष्ट देते हैं। इनके कारण अनेक तपस्वियों को असमय ही काल का ग्रास बनना पड़ा है। मैं चाहता हूं, तुम इनका विनाश करके तपस्वियों की रक्षा करो।’
राम ने महर्षि की आज्ञा को शिरोधार्य कर उपद्रवी राक्षसों तथा मनुष्य का प्राणांत करने वाले भयानक सर्पों को नष्ट करने का वचन देखर सीता तथा लक्ष्मण के साथ आगे के लिए प्रस्थान किया।
चित्रकूट की मंदाकिनी, गुप्त गोदावरी, छोटी पहाड़ियां, कंदराओं आदि से निकलकर भगवान राम पहुंच गए घने जंगलों में.
16.धनुषकोडी:वाल्मीकिकेअनुसारतीनदिनकीखोजबीनकेबादश्रीरामनेरामेश्वरमकेआगेसमुद्रमेंवहस्थानढूंढ़निकाला, जहांसेआसानीसेश्रीलंकापहुंचाजासकताहो।उन्होंनेनलऔरनीलकीमददसेउक्तस्थानसेलंकातककापुल निर्माण करनेकाफैसलालिया।
पुल निर्माण
धनुषकोडी भारत के तमिलनाडु राज्य के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गांव है। धनुषकोडी पंबन के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। धनुषकोडी श्रीलंका में तलैमन्नार से करीब 18 मील पश्चिम में है। इसका नाम धनुषकोडी इसलिए है कि यहां से श्रीलंका तक वानर सेना के माध्यम से नल और नील ने जो पुल (रामसेतु) बनाया था उसका आकार मार्ग धनुष के समान ही है। इन पूरे इलाकों को मन्नार समुद्री क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है। धनुषकोडी ही भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्थलीय सीमा है, जहां समुद्र नदी की गहराई जितना है जिसमें कहीं-कहीं भूमि नजर आती है।
17.‘नुवाराएलिया‘ पर्वतश्रृंखला :वाल्मीकिय–रामायणअनुसारश्रीलंकाकेमध्यमेंरावणकामहलथा।‘नुवाराएलिया‘ पहाड़ियोंसेलगभग90 किलोमीटरदूरबांद्रवेलाकीतरफमध्यलंकाकीऊंचीपहाड़ियोंकेबीचोबीचसुरंगोंतथागुफाओंकेभंवरजालमिलतेहैं।यहांऐसेकईपुरातात्विकअवशेषमिलतेहैंजिनकीकार्बनडेटिंगसेइनकाकालनिकालागयाहै। अशोक वाटिका लंका में स्थित है, जहां रावण ने सीता को हरण करने के पश्चात बंधक बनाकर रखा था। ऐसा माना जाता है कि एलिया पर्वतीय क्षेत्र की एक गुफा में सीता माता को रखा गया था, जिसे ‘सीता एलिया’ नाम से जाना जाता है। यहां सीता माता के नाम पर एक मंदिर भी है।