Latest News- What is Puranic History of GyanVapi Maszid? जानिए ज्ञानवापी का पौराणिक इतिहास एवं विवाद

आइये जानते है वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का पौराणिक इतिहास Puranic History of GyanVapi Maszid इतिहास, काशी विश्वनाथ का इतिहास और ज्ञानवापी विवाद के बारे में-

काशी विश्वनाथ का इतिहास

काशी विश्वनाथ मंदिर हजारो वर्ष पुराना है, जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले में गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित हैं । काशी भगवान शिव और माता पार्वती का आदि स्थान हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर हिन्दुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान हैं ।  यह भोले बाबा के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

Latest News- What is Puranic History of GyanVapi Maszid? जानिए ज्ञानवापी का पौराणिक इतिहास एवं वर्तमान विवाद
ज्ञानवापी का पौराणिक इतिहास

ऐसी मान्यता है की काशी में पवित्र गंगाजल से स्‍नान करके और मंदिर में दर्शन मात्र से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं ।

कहा जाता है की  काशी विश्वनाथ  का जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने करवाया था और वर्ष 1194 में मुहम्मद गौरी ने ही इसे तुड़वा दिया था। जिसे एक बार फिर बनाया गया लेकिन वर्ष 1447 में पुनं इसे जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने तुड़वा दिया।

वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन् 1780 में करवाया गया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि.ग्रा शुद्ध सोने द्वारा बनवाया गया था।

ज्ञानवापी का पौराणिक इतिहास Puranic History of GyanVapi

पुराणों के अनुसार, ज्ञानवापी की उत्पत्ति तब हुई थी जब धरती पर गंगा नहीं थी और इंसान पानी के लिए बूंद-बूंद तरसता था तब भगवान शिव ने स्वयं अपने अभिषेक के लिए त्रिशूल चलाकर जल निकाला। यहीं पर भगवान शिव ने माता सती को ज्ञान दिया। इसीलिए, इसका नाम ज्ञानवापी पड़ा और जहां से जल निकला उसे ज्ञानवापी कुंड कहा गया। ज्ञानवापी का उल्लेख हिंदू धर्म के पुराणों मे मिलता है तो फिर ये मस्जिद के साथ नाम कैसे जुड़ गया…?

वापी का अर्थ होता है तालाब, ज्ञानवापी का सम्पूर्ण अर्थ है ज्ञान का तालाब । काशी में छः वापियों का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है।

पहली वापी

ज्येष्ठा वापी, जिसके बारे मे कहा जाता है की ये काशीपुरा मे थी, अब लुप्त हो गई है।

दूसरी वापी

ज्ञानवापी, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के उत्तर मे है।

तीसरी वापी

कर्कोटक वापी, जो नागकुंआ के नाम से प्रसिद्ध है।

चौथी वापी

भद्रवापी, जो भद्रकूप मोहल्ले में है।

पांचवीं वापी

शंखचूड़ा वापी, लुप्त हो गई।

छठी वापी

सिद्ध वापी, जो बाबू बाजार में है और अब लुप्त हो गई है।

अठारह (18) पुराणों में से एक लिंग पुराण मे कहा गया है:-

देवस्य दक्षिणी भागे वापी तिष्ठति शोभना। 
तस्यातवोदकं पीत्वा पुनर्जन्म ना विद्यते।।"

इसका अर्थ है:-

प्राचीन विश्ववेश्वर मंदिर के दक्षिण भाग में जो वापी है, 
उसका पानी पीने से जन्म मरण से मुक्ति मिलती है।

  स्कंद पुराण में भी कहा गया है :-

उपास्य संध्यां ज्ञानोदे यत्पापं काल लोपजं।
क्षणेन तद्पाकृत्य ज्ञानवान जायते नरः।।

स्कन्द पुराण

स्कंद पुराण कहता है :-

योष्टमूर्तिर्महादेवः पुराणे परिपठ्यते।

तस्यैषांबुमयी मूर्तिर्ज्ञानदा ज्ञानवापिका।।

स्कन्द पुराण

अर्थात:-

ज्ञानवापी का जल भगवान शिव का ही स्वरूप है। पुराण जो ना जाने कितनी सदियों पहले लिखे गए, उसमें भी ज्ञानवापी को भगवान शिव का स्वरूप बताया गया है।

         सारे पुराण, कह रहे है की ज्ञानवापी हिंदुओं से जुड़ा हुआ है लेकिन आज 2022 में आप सुनते है की मस्जिद का नाम है ज्ञानवापी मस्जिद। मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण से पहले काशी को अविमुक्त और भगवान शिव को अविमुक्तेश्वर कहा जाता था।

ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास Puranic History of GyanVapi

ज्ञानवापी मस्जिद भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बनारस जिले स्थित है। जिसका  निर्माण 1669 में  औरंगजेब ने भगवान शिव के प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके बनवाया था ।

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद

ज्ञानवापी मस्जिद हिन्दुओं के प्राचीन मंदिर काशी विश्वनाथ को तोड़कर बनाया गया था इसी कारण समय समय पर ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद होते ही रहते हैं ।

वर्तमान समय में कुछ महिलाओं की सर्वे करने की याचिका से ये विवाद फिर से गरमा गया हैं । आइये इस आर्टिकल में जानते है की मामला क्या हैं

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर नए मामले की शुरुआत

5 महिलाओं ने वाराणसी की लोकल कोर्ट में अगस्त 2021 में माँ श्रृंगार गौरी के मंदिर में पूजा-अर्चना की मांग करते हुए एक याचिका दायर की जो की ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में  हैं।

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साभार TV9 भारतवर्ष

माँ गौरी श्रृंगार की पूजा को लेकर मान्यता

माँ  श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर मान्यता है की चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन देवी श्रृंगार गौरी की आराधना का विशेष महत्व है, इस दिन सुहागिन महिलाएं श्रृंगार गौरी को सिंदूर चढ़ाती हैं  और अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती है। श्रृंगार और सौंदर्य की देवी श्रृंगार देवी की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

1992 तक हर रोज होती थी पूजा

गौरतलब है कि हिंदू धर्म-दर्शन में श्रृंगार गौरी को 9 देवियों में से एक माना गया है, जो वाराणसी में विराजमान है. मां श्रृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी परिसर के पश्चिमी इलाके में स्थित है. इस मंदिर में मां श्रृंगार गौरी की मूर्ति प्रतिष्ठित है. मंदिर के पुरोहित गुलशन कपूर के मुताबिक 1992 के पहले यहां हर रोज पूजा-अर्चना की जाती थी.

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में एक चबूतरे में श्रृंगार गौरी की आकृति उभरी है। जिसकी पूजा की जाती है। 1998 में प्रसाशन ने मंदिर को बंद कर दिया था और यहाँ आने की अनुमति किसी को नहीं थी

मंदिर में दर्शन पूजन के लिए प्रयासरत बीजेपी नेता गुलशन कपूर को 2004 में सफलता मिली। प्रशासन ने केवल एक दिन चैत्र नवरात्रि के चतुर्थी को दर्शन पूजन की अनुमति प्रदान की।

तब से प्रतिवर्ष चैत्र  नवरात्रि के चतुर्थी के दिन श्रद्धालुओं को माँ का दर्शन-पूजन करने दिया जाता है। अब यहीं पर हर रोज पूजा-अर्चना करने की मांग और सर्वे पर ज्ञानवापी मस्जिद का मामला कोर्ट पहुंचा है।

ज्ञानवापी मस्जिद में मिला शिवलिंग

जैसा की हम जानते है की कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का आदेश दिया हैं और तीन दिनों के सर्वे के दौरान मस्जिद के वजू खाने में एक शिवलिंग प्राप्त होने की खबर कही जा रही हैं। उसके पश्च्यात मस्जिद के उस  स्थान को हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन के प्रार्थनापत्र पर सिविल जज (सीनियर डिविजन) की कोर्ट ने तुरंत सील करने का आदेश दिया है जहां पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है।

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साभार अमर उजाला

वाराणसी में आज ज्ञानवापी के चार तैहखानों में कमीशन का कार्य पूरा हुआ माना जा रहा है की आज 50 प्रतिशत तक कमीशन पूरा हो चुका है. जिन चार तहखाने में कमीशन का कार्य हुआ उसमें जो कोर्ट कमिश्नर और उनकी टीम ने इस टीम में डॉ रामप्रसाद सिंह भी मौजूद थे. जिन्होंने इस पूरे ज्ञानवापी परिसर का 30 साल पहले फोटोग्राफी की थी और आज फिर वो सर्वे टीम का हिस्सा थे. उन्होंने साफ – साफ बताया की सब कुछ बिल्कुल उसी तरह से है, जिस तरह से तीस साल पहले था. बल्कि और भी बहुत कुछ मिला है जो मंदिर होने का सच बताता है.

उन्होंने बताया की मंदिरों के अवशेष कलश सब कुछ दिखा इन चार तहखाने में और जब कोर्ट कमीशन की कारवाही पूरी होगी तो दुनिया के सामने ज्ञानवापी का असली सच सामने आ जायेगा

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हिन्दू जनभावना

डॉ रामप्रसाद सिंह

सवाल- क्या – क्या दिखा तहखाने में :——-

  • हिंदू देवी देवताओं के खंडित मूर्ति
  • कमल का फूल
  • भगवान विष्णु के चक्र
  • मगरमच्छ का मूर्ति
  • ढेर सारे कलश
  • आटा पीसने वाला जांता
  • हिंदू धर्म और मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां मिली

मुसलमानों की प्रतिक्रिया

काशी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) में सर्वे के पश्चात वहाँ के वजूखाने में प्राचीन शिवलिंग मिलने की खबर से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) बुरी तरह बौखला गया है, जो की भारत में मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन है।

कोर्ट के द्वारा शिवलिंग मिलने वाले स्थान को सील करने के  आदेश को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB)  ने नाइंसाफी कहा हैं ।

बोर्ड के महासचिव खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि यह पूरा घटनाक्रम सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की एक साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है । 

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

ज्ञानवापी मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि यह मामला कोर्ट में चल रहा है. अभी उसपर कुछ भी कहना सही नहीं है. ये जो नए-नए मुद्दे निकल रहे हैं, यह देश के लिए अच्छा नहीं है. यह हमारे देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए है.

ओवैसी की प्रतिक्रिया

ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग पाए जाने के दावे के बाद से राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. अब इस मामले में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने टिप्पणी की है. ओवैसी ने कहा कि

 'ज्ञानवापी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद ही रहेगी.'

ओवैसी ने ट्वीट किया,

 "ये बाबरी मस्जिद प्रकरण को दोहराया जा रहा है. ये 1991 के कानून का उल्लंघन है. मुझे इसका डर था और ये सच हो गया."

मित्रो, वर्तमान में यह एक ज्वलंत मुद्दा बन चुका हैं .. मुस्लिम अक्रान्ताओ ने भारत में हजारो मंदिरों को तोडा हैं, हिन्दू सभी मंदिरों में पुनःनिर्माण के लिए नहीं कह रहा हैं जबकि वह अगर ऐसी मांग रखता तो भी वह जायज़ ही होती

हिन्दू सिर्फ अपने तीन मान बिन्दुओ अयोध्या, काशी और मथुरा में मंदिर तोड़ जबरदस्ती बनाये गए मस्जिदों पर अपना हक जता रहा हैं वो भी संविधान, कानून के माध्यम से

आशा हैं उपरोक्त जानकारी ने आपके नॉलेज में वृद्धि किया हैं

धन्यवाद

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