Vishnu Chalisa/Vishnu Aarti विष्णु चालीसा/आरती Download Lyrics with HD Image PDF

विष्णु चालीसा और आरती Vishnu Chalisa and Vishnu Aarti Lyrics with HD image PDF

भगवान विष्णु पूरे जगत के पालनहार हैं। बृहस्पतिवार या गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। आमतौर पर लोग पूजा करते समय चालीसा और आरती का पाठ करते हैं। इस पोस्ट में आपको सम्पूर्ण विष्णु चालीसा Vishnu Chalisa और Vishnu Aarti विष्णु आरती की Lyrics मिलेंगी। Also you can Download Vishnu Chalisa PDF in Hindi

Vishnu Chalisa/Vishnu Aarti विष्णु की चालीसा/आरती Lyrics with HD Image PDFDownload Vishnu Chalisa PDF
Vishnu Chalisa and Aarti

जिस मनुष्य की कुंडली में गुरु की स्तिथि ठीक नहीं होती, किसी के विवाह में बाधा आती है तो पंडित उन्हें गुरुवार का व्रत करने की सलाह देते हैं। गुरुवार के व्रत में केले के पौधे की पूजा की जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केले के पौधे में भगवान विष्णु का वास होता है। पूजा करते समय विष्णु चालीसा Vishnu Chalisa और अंत में विष्णु आरती Vishnu Aarti करने का विधान है। आरती करने से पूजा पूर्ण होती है।

विष्णु चालीसा Vishnu Chalisa

विष्णु चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि आती हैं। भगवान विष्णु की कृपा से मनुष्य को धन, बल और विवेक की प्राप्ति होती है। विष्णु जी की आराधना करने से मनुष्य के जीवन सारे कष्ट दूर होते है।

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विष्णु चालीसा दोहा
विष्णु चालीसा

दोहा

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।

चौपाई

नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥ 

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥
तन पर पीतांबर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

संतभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

पाप काट भव सिंधु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥
भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

आप वराह रूप बनाया। हरण्याक्ष को मार गिराया॥
धर मत्स्य तन सिंधु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

अमिलख असुरन द्वंद मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥
देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छवि से बहलाया॥

कूर्म रूप धर सिंधु मझाया। मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबंध उन्हें ढूँढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लडाई॥
हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥
गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥
करहुं आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहु समर्पण॥
सुर मुनि करत सदा सेवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥
पाप दोष संताप नशाओ। भव-बंधन से मुक्त कराओ॥

सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ।निज चरनन का दास बनाओ॥
निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥

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भगवान विष्णु की आरती Vishnu Aarti

पूजा करते समय अंत में आरती करने का विधान है। आरती करने से पूजा पूर्ण होती है।

ओम जय जगदीश हरे विष्णु भगवान के लिए एक हिंदी धार्मिक गीत है जिसे शारदा राम फिल्लौरी ने 1870 में बनाया था।

ऐसी मान्यता है कि पूजा में जो भी त्रुटि होती है, वह आरती करने से पूर्ण हो जाती है, इसलिए आरती की जाती हैं। भगवान विष्णु की पूजा में उनकी आरती का पाठ करने से शुभ फल मिलता हैऔर घर से साड़ी नकारात्मक उर्जा का नाश हो जाता हैं।

विष्णु जी की आरती Vishnu Aarti

Vishnu Aarti Desigyani
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥ 

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥ 

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥ 

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥ 

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
         किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥       
                                                                                                    
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥ 

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
 
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥ 

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
 कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय 

 जय जगदीश हरे, स्वामी!
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Vishnu Aarti

जैसा की हम जानते हैं की भगवन विष्णु जगत के पालनहार है। उनकी पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृधि , ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती हैं। नकारात्मक उर्जा का नाश होता हैं और मनुष्य के जीवन में सकारात्मकता आती हैं। गुरुवार के दिन आप भी अपने घर में विष्णु चालीसा और विष्णु आरती कर अपने जीवन को खुशाल बनाएं और एक अच्छा जीवनव्यतीत करें। Vishnu Chalisa/Vishnu Aarti विष्णु चालीसा/आरती Download Lyrics with HD Image PDF

जय श्री राम 🙏

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