व्रत कथा
हरतालिका तीज Hartalika Teej 2023 में कब हैं? शुभ मुहूर्त, महत्त्व, जानिए पूजन विधि और व्रत कथा
हरतालिका तीज Hartalika Teej का व्रत सुहागन महिलाओं के द्वारा अपने पति की लंबी आयु के लिए मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व हैं तीज कब हैं, हरतालिका तीज व्रत कथा, हरतालिका तीज पूजन विधि, हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त, हरतालिका तीज 2023, Hartalika teej 2023, Hartalika teej vrat katha, Teej vrat katha, Hartalika teej 2023 date, Hartalika pujan, Hartalika teej ki katha, Hartalika tej katha in Hindi
Last updated on September 1st, 2023 at 10:20 pm
हरतालिका तीज Hartalika Teej का व्रत सुहागन महिलाओं के द्वारा अपने पति की लंबी आयु के लिए मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व हैं । इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं हरतालिका तीज कब हैं, हरतालिका तीज व्रत कथा, हरतालिका तीज पूजन विधि, हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त, हरतालिका तीज 2023, Hartalika teej 2023, Hartalika teej vrat katha, Teej vrat katha, Hartalika teej 2023 date, Hartalika pujan, Hartalika teej ki katha, Hartalika tej katha in Hindi , Hartalika Teej 2023 में कब हैं
हरतालिका तीज Hartalika Teej 2023 में कब है?
इस वर्ष हरतालिका तीज 18 सितम्बर 2023, दिन सोमवार को मनाई जाएगी ।
प्रत्येक वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज Hartalika Teej मनाई जाती है। मान्यता हैं की भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज व्रत कुंवारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। दूसरे दिन पूजा के बाद इस व्रत का पारण किया जाता है।
हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त
विवरण | दिन | समय |
---|---|---|
तृतीया तिथि शुरू | 17 सितंबर 2023 | सुबह 11 बजकर 08 मिनट |
तृतीया तिथि समाप्त | 18 सितंबर 2023 | दोपहर 12 बजकर 39 मिनट |
प्रात:काल मुहूर्त | 18 सितंबर 2023 | सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 08 बजकर 34 मिनट |
एक वर्ष में चार बार तीज आती हैं लेकिन हरतालिका तीज का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। इस व्रत को कुंवारी लड़कियों द्वारा भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
इस व्रत को मुख्य रूप से यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश समेत कई उत्तर-पूर्वीय राज्यों में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। Hartalika Teej 2023 में कब हैं
हरतालिका तीज पर भगवान शिव, माता पार्वती तथा भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। हरतालिका व्रत निराहार और निर्जला रहकर किया जाता है।
हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यतानुसार इस व्रत के दौरान महिलाएं सुबह से लेकर अगले दिन सुबह सूर्योदय तक जल ग्रहण तक नहीं कर सकतीं। सुहागिन महिलाएं चौबीस घंटे तक बिना अन्न और जल के हरतालिका तीज का व्रत रहती हैं।
विधवा महिलाएं भी इस व्रत को कर सकती हैं।
मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज Hartalika Teej व्रत के नियम
● हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। इस दिन 24 घंटे का निर्जला व्रत रखने का विधान हैं ।
● हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।
● हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए।
● हरतालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है।
हरतालिका व्रत की सामग्री Hartalika Vrat Ki Samagri
केले के खम्भे, दूध, सुहाग पिटारी, गंगा जल, दही, तरकी, चूड़ी, अक्षत, घी, बिछिया, माला-फूल, शक्कर, कंघी, गंगा-मृत्तिका, शहर, शीशा, चन्दन, कलश, कलाई-नारा, केशर, दीपक, सुरमा, फल, पान, मिस्सी, धूप, कपूर, सुपारी, महाउर, बिन्दी, वस्त्र, सिंदूर, पकवान, यज्ञोपवीत, रोली और मिठाई।
हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि
हरतालिका तीज पर माता पार्वती और भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है-
- हरतालिका तीज व्रत में पूजन प्रदोषकाल में किया जाता है।
- हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
- पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
- सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है। इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है।
- इसके बाद श्री गणेश की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।
- सुहाग की सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
- इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।
हरतालिका तीज Hartalika Teej के मंत्र :
Hartalika Teej Mantra
‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’
कात्यायिनी महामाये महायोगिनीधीश्वरी
नन्द-गोपसुतं देवि पतिं में कुरु ते नम:
गण गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।
ॐ पार्वतीपतये नमः
हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व
Hartalika Teej Ka Mahatv: सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए और अविवाहित युवतियां मन-मुताबिक वर की प्राप्ति के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिवशंकर के लिए रखा था। इसी कारण विशेष रूप से गौरी-शंकर की पूजा होती है। उत्तर भारत के कई राज्यों में इस दिन मेहंदी लगाने और झूला झूलने की भी प्रथा है। इस त्यौहार की रौनक विशेष तौर पर उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में देखने को मिलती है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत खोला जाता है।
हरतालिका तीज व्रत कथा
Hartalika Teej Vrat Katha
माता पार्वती भगवान शंकर को पति रूप में पाना चाहती थीं ओर इसके लिए वह कठोर तप करने लगीं। मां पार्वती ने कई वर्षों तक निराहार और निर्जल व्रत किया। एक दिन महर्षि नारद आए मां पार्वती के पिता हिमालय के घर पहुंचे और कहा कि आपकी बेटी पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं और उन्हीं का प्रस्ताव लेकर मैं आपके पास आया हूं। यह बात सुनकर हिमालय की खुशी का ठिकाना ना रहा और उन्होंने हां कर दिया।
नारद ने संदेश भगवान विष्णु को दे दिया और कहा कि महाराज हिमालय का यह प्रस्ताव अच्छा लगा और वह अपन पुत्री का विवाह आपसे कराने के लिए तैयार हो गए हैं। यह सूचना नारद ने माता पार्वती को भी जाकर सुनाया। यह सुनकर मां पार्वती बहुत दुखी हो गईं और उन्होंने कहा कि मैं विष्णु से नहीं भगवान शिव से शादी करना चाहती हूं।
उन्होंने अपनी सखियों से कहा कि वह अपने घर से दूर जाना चाहती हैं और वहां जाकर तप करना चाहती हैं। इस पर उनकी सखियों ने महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर पार्वती को जंगल में एक गुफा में छोड़ दिया। यहीं रहकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया, जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की। माता पार्वती ने जिस दिन शिवलिंग की स्थापना की वह हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का ही दिन था। हरतालिका तीज पूजा विधि हरतालिका तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके बाद आप व्रत का संकल्प लें। बालू रेत से भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं। इसके बाद इन प्रतिमाओं को एक चौकी पर स्थापित करें। चौकी पर चावल से अष्टदल कमल का निर्माण करें और उस पर कलश की स्थापना करें। कलश में जल, अक्षत, सुपारी और सिक्के डाल दें। साथ ही आम के पत्ते रखकर उसपर नारियल रख दें। चौकी पर पान के पत्ते रखें, उस पर अक्षत भी रख दें और फिर भगवान गणेश और माता पार्वती को स्नान कराएं। इसके बाद उनके सामने घी का दीपक जलाएं। गणेश जी और माता पार्वती को कुमकुम का तिलक करें और भगवान शिव को चंदन का तिलक करें। तिलक करने के बाद फूल माला अर्पित करें और शिवजी को सफेद फूल अर्पित करें। भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें।
- अहोई अष्टमी कब हैं ? अहोई अष्टमी क्यों मनाया जाता हैं ? Download Ahoi Ashtami Vrat Katha in PDF
- Know When is Putrada Ekadashi? जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पुत्रदा एकादशी व्रत कथा Download PDF और महत्व
- Know When Is Kamika Ekadashi 2022 (कामिका एकादशी)? महत्त्व, शुभ मुहूर्त एंड Download व्रत कथा In PDF
महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते आदि अर्पित करें। गणेश जी और मां पार्वती को पीले चावल अर्पित करें। महादेव को सफेद चावल अर्पित करें। इसके बाद उन्हें बारी-बारी से कलावा अर्पित करें और गणेश जी व भगवान शिव को जनेऊ अर्पित करें। माता पार्वती को श्रृंगार की चीजें अर्पित करें। तथा फल और मिष्ठान आदि अर्पित करें इसके बाद हरतालिका तीज की व्रत कथा पढ़ें और सुनें। भगवान गणेश, महादेव और माता पार्वती की आरती करें और फिर उन्हें मिठाई का भोग लगाएं। हरतालिका तीज व्रत कथा पौराणिक काल की मान्यताओं के अनुसार, मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रुप में पाने के लिए अद्योमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का त्याग कर दिया था। काफी समय तक सूखे पत्ते चबाकर तप किया और उसके बाद अनेक वर्ष तक उन्होंने केवल हवा का सेवन कर कठोर तप किया। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण कर महादेव की पूजा की और पूरी रात्रि महादेव के लिए जागरण किया तब माता के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया।
दोस्तों, आशा करती हूँ आप सभी को हरतालिका तीज Hartalika Teej 2023 में कब हैं? शुभ मुहूर्त, महत्त्व, पूजन विधि और व्रत कथा पसंद आई होंगी। कृपया इसे अपने मित्रों और परिवारजनों से साझा करें।
धन्यवाद 🙏