जैसा की हम जानते हैं की हमारे देश में कई तीज का त्यौहार मनाया जाता है – जैसे की हरियाली तीज , हरितालिका तीज, अखा तीज (जिसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है), गणगौर तीज, कजरी तीज (इसे बड़ी तीज या कजली तीज भी कहा जाता है।) हिंदू पंचांग के अनुसार कजरी तीज भादव मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं । आइए जानते हैं कि 2022 में कजरी तीज कब है, कजरी व्रत कथा, कजरी तीज 2022 तारीख व मुहूर्त, कजरी तीज पूजन विधि, कजरी तीज महत्त्व, Kajri teej Date, Kajri Teej 2022, kab hain,Kajri tee pujan vidhi, kajri teej mahatv, full kajri vrat, Kajri teej kab hai, Kajari katha
इस वर्ष कजरी तीज (kajari teej 2022) 14 अगस्त 2022 दिन रविवार को मनाई जाएगी।
इस दिन सुहागन महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन की सुख प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। कजरी तीज (kajri teej date) को कजली तीज, बूढी तीज, बड़ी तीज या सातूड़ी तीज भी कहा जाता है।
कजरी तीज मुख्यत: महिलाओं का पर्व है। यह त्यौहार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार समेत हिंदी भाषी क्षेत्रों में प्रमुखता से मनाया जाता है।
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कजरी तीज क्यों मनाते हैं?
कजरी तीज महिलाओं के लिए खास त्यौहार हैं । इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना निर्जला व्रत रख कर करती हैं। मान्यताओं के अनुसार, कजरी तीज का व्रत श्रद्धापूर्वक करने से पति की लंबी आयु होती है। कुंवारी कन्या इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करें, तो उन्हें मनचाहा पति मिल सकता है।
हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए अहम पर्व है। वैवाहिक जीवन की सुख और समृद्धि के लिए यह व्रत किया जाता है। Kajri teej
Kajri teej कजरी तीज शुभ मुहूर्त
विवरण | तिथि | समय |
---|---|---|
तृतीया आरम्भ | 13 अगस्त 2022 | रात 12 :55:17 |
तृतीया समाप्त | 14 अगस्त 2022 | रात 10:37:32 |
कजरी तीज की पूजा विधि
कजरी तीज के अवसर पर नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है। नीमड़ी माता माँ पार्वती का ही एक स्वरुप हैं ।
पूजन से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है (घी और गुड़ से पाल बांधकर) और उसके पास नीम की टहनी को रोप देते हैं।फिर उस तालाब जैसी आकृति में कच्चा दूध और जल डालते हैं और किनारे पर एक दीया जलाकर रखते हैं।
थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं। इसके अलावा लोटे में कच्चा दूध लें और फिर शाम के समय श्रृंगार करने के बाद नीमड़ी माता की पूजा इस प्रकार करें।
पूजा विधि
1. सर्वप्रथम नीमड़ी माता को जल चढ़ाएं फिर रोली का टीका लगायें और अक्षत चढ़ाएं।
2. नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाएं। मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए।
3. नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं। दीवार पर लगी बिंदियों के सहारे लच्छा लगा दें। Kajri teej
4. नीमड़ी माता को कोई फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें।
5. पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।
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चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि
कजरी तीज पर संध्या के समय नीमड़ी माता की पूजा के बाद चांद को अर्घ्य देने की परंपरा है।
1. चंद्रमा को जल के छींटे देकर रोली, मोली, अक्षत चढ़ायें और फिर भोग अर्पित करें।
2. चांदी की अंगूठी और आखे (गेहूं के दाने) हाथ में लेकर जल से अर्घ्य दें और एक ही जगह खड़े होकर चार बार घुमें।
कजरी तीज पर होने वाली परंपरा
1. इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए कजली तीज का व्रत रखती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं।
2. कजरी तीज पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ते हैं।
3. इस दिन गायों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आटे की सात लोइयां बनाकर उन पर घी, गुड़ रखकर गाय को खिलाने के बाद भोजन किया जाता है।
4. कजली तीज पर घर में झूले डाले जाते हैं और महिलाएं एकत्रित होकर नाचती-गाती हैं।
5. इस दिन कजरी गीत गाने की विशेष परंपरा है। यूपी और बिहार में लोग ढोलक की थाप पर कजरी गीत गाते हैं।
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कजरी तीज व्रत के नियम
1. यह व्रत सामान्यत: निर्जला रहकर किया जाता है। हालांकि गर्भवती स्त्री फलाहार कर सकती हैं।
2. यदि चांद उदय होते नहीं दिख पाये तो रात्रि में लगभग 11:30 बजे आसमान की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोला जा सकता है।
3. उद्यापन के बाद संपूर्ण उपवास संभव नहीं हो तो फलाहार किया जा सकता है। Kajri teej
कजरी तीज व्रत कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में गरीब ब्राह्मण और ब्राह्मणी रहते थे। ब्राह्मणी ने भाद्रपद महीने में आने वाली कजली तीज के दिन कजरी माता का व्रत रखा और ब्राह्मण से कहा कि आज उसका व्रत है और उसके लिए कहीं से चने का सत्तू लेकर आये।
ब्राह्मण ने जवाब दिया कि वह सत्तू कहाँ से लेकर आये? तो ब्राह्मणी बोली की-
"सत्तू के लिए आप चोरी करो या डाका डालो, उसको नहीं पता लेकिन उसके लिए सतू लेकर आये।"
रात बहुत हो चुकी थी। रात में ही ब्राह्मण घर से निकल गया और एक साहूकार की दुकान में घुस गया। दुकान में रखे चने की दाल, शक्कर, घी आदि को सवा किलो तोलकर उसने सत्तू बनाना शुरू किया। सत्तू बनाकर वह वहां से जाने लगा तो आवाज सुनकर वहां के नौकरों की नींद खुल गई और सब चोर-चोर चिल्लाने लगे।
वहां के चोरों ने ब्राह्मण को पकड़ लिया और साहूकार के पास लेकर गये तो ब्राह्मण बोला कि-
“वह चोर नहीं है, वह तो एक गरीब ब्राह्मण है और मेरी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा है। उसके लिए सवा किलो सतू बनाकर लेकर जा रहा हूँ।”
साहूकार ने ये सब सुनकर उस गरीब ब्राह्मण की तलाशी ली। लेकिन ब्राह्मण के बाद सत्तू के अलावा कुछ नहीं निकला।
इधर दिन हो रहा था और ब्राह्मणी अपने पति का इंतजार कर रही थी।
ब्राह्मण की बात सुनकर साहूकार ब्राह्मण से बोला कि-
आज से तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा। इतना कहने के बाद साहूकार ने ब्राह्मण को सतू के साथ मेहंदी, रुपये, गहने आदि देकर वहां से सम्मानपूर्वक विदा किया। Kajri teej
फिर सबने मिलकर कजरी माता की पूजा की और सबके लिए कामना की कि जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे ही सबके दिन फिरे और सभी पर कजरी माता की कृपा बनी रहे।
दोस्तों आशा करती हूँ, कि आपको कजरी तीज kajri teej 2022 कब हैं? जाने शुभ मुहूर्त और पूजन विधि और व्रत कथा पसंद आई होंगी। यदि कजरी तीज का व्रत विधि विधान के साथ संपूर्ण किया जाए तो सौभाग्यवती स्त्री के परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। वहीं कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है।
माँ पार्वती और शिव जी की कृपा आप सब पर सदैव बनी रहें।