तीज त्यौहार
Hariyali Teej 2023 Date: इस दिन है हरियाली तीज, जानें शुभ मुहूर्त, महत्त्व और व्रत कथा
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Last updated on September 1st, 2023 at 10:56 pm
हरियाली तीज महिलाओं का त्यौहार होता हैं इस दिन महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। मान्यता है की, हरियाली तीज के दिन शिव जी और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। हरियाली तीज सावन माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं। आइए जानते हैं हरियाली तीज कब हैं, हरियाली तीज व्रत कथा, हरियाली तीज पूजन विधि, हरियाली तीज 2023 तिथि, श्रावणी तीज, हरियाली तीज कैसे मानते हैं, hariyali teej, Hariyali teej vrat, Hariyali teej kab hain, hariyani teej vrat katha, Hariyali teej 2023 Date, Hariyali teej vrat katha pdf, teej festival, teej festival 2023, Tij puja, Tij 2023, Teej Date, Teez kab hai, teej in hindi, teej festival in hindi, haryali teej image, Download Pdf hariyali teej katha
हरियाली तीज Hariyali Teej 2023 कब है? Hariyali Teej 2023 Date
इस वर्ष 19 अगस्त 2023, दिन शनिवार को हरियाली तीज मनाई जाएगी ।
हरियाली तीज Hariyali Teej 2023 शुभ मुहूर्त
विवरण | तिथि | समय |
---|---|---|
तृतीया तिथि आरम्भ | अगस्त 18 , 2023 | 08:01 PM |
तृतीया तिथि समाप्त | अगस्त 19, 2023 | 10:19 PM |
आइए जानते हैं हरियाली तीज Hariyali Teej 2023 कब है, तारीख शुभ मुहूर्त, व्रत कथा
हरियाली तीज या श्रावणी तीज श्रावण मास की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं। यह प्रमुख रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता हैं । इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। हरियाली तीज मुख्यत: महिलाओं का त्यौहार है। सावन के महीने हर तरफ हरियाली छाई रहती हैं, ऐसा प्रतीत होता है की संपूर्ण धरातल ने हरियाली की चादर ओढ़ रखी हैं, ऐसा मनोरम दृश्य न सिर्फ आँखों को सुकून देता हैं अपितु मन भी प्रफुल्लित हो जाता हैं। इस क्षण का आनंद लेने के लिए महिलाएं झूले झूलती हैं, लोक गीत गाकर उत्सव मनाती हैं।
हरियाली तीज का उत्सव माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन के उपलक्ष में मनाया जाता हैं। इस दिन कई जगह पर माता पार्वती की सवारी बड़े जश्न और धूम धाम के साथ निकाली जाती है। यह पर्व सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता हैं, क्योंकि यह सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक होता हैं ।
हरियाली तीज को मनाने के रीति रिवाज
नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के बाद पड़ने वाले पहले सावन के त्यौहार हरियाली तीज का विशेष महत्व होता है।
1. हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाओं के लिए मायके से सिंजारा आता है। जिसमें कपड़े, गहने, श्रृंगार का सामान, मेहंदी, मिठाई और फल आदि भेजे जाते हैं।इसमें श्रृंगार के सामान को बड़ी अहमियत दी गई है। सिंजारे में सोलह श्रृंगार को शामिल करके सदा सुहागन रहने की शुभकामनाएं दी जाती हैं।
2. मेहँदी और आलता दोनों सुहाग की निशानी हैं इसलिए इस दिन महिलाएं हाथों में मेहँदी और पैर में आलता अवश्य लगाती हैं।
3. हरियाली तीज के दिन अपनी सास को सुहागी देकर उनका आशीर्वाद लेने का प्रचलन हैं। यदि सास न हो तो जेठानी या किसी अन्य बुजुर्ग स्त्री को दी जाती है।
4. इस दिन महिलाएं पूरा सोलह श्रृंगार कर और नए वस्त्र धारण कर मां पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं।
5. इस दिन महिलाएँ बाग बगीचों में झूला झूलती हैं साथ ही साथ लोकगीत गाती हैं और इस त्यौहार को पूरे हर्सोल्लास के साथ मानती हैं।
हरियाली तीज पूजा विधि
शिव पुराण के अनुसार, हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसलिए यह दिन सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता हैं।
इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती हैं। आइए जानते हैं हरियाली तीज की पूजा विधि-
- इस दिन महिलाओं को प्रातः काल नित्य कर्म से निवृत होकर अपने मायके से आई साड़ी पहनकर सोलह श्रृंगार करना चाहिए ।
- उसके पश्च्यात एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती की प्रतिमा बनायें, यदि प्रतिमा नहीं बना सकते तो शिव परिवार की प्रतिमा शुभ मुहूर्त के अनुसार स्थापित करें ।
- सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करें, उसके पश्चात माता पार्वती को सोलह श्रृंगार के साथ साड़ी, धूप, दीप,अक्षत, इत्र आदी अर्पित करें । भगवान शिव को भांग, धतूरा,बेल पत्र, श्वेत पुष्प, धूप, दीप गंध आदि अर्पित करें ।
- हरियाली तीज व्रत कथा पढ़ें उसके बाद गणेश जी, माता पार्वती और भगवान शिव की आरती करें ।
- हरियाली तीज के दिन महिलाएं पूरी रात जागरण और कीर्तन करती हैं।
हरियाली तीज का पौराणिक महत्व
हरियाली तीज आस्था, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया।
ऐसा कहा जाता है कि, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शंकर ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
तभी से ऐसी मान्यता है कि, भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया। इसलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं।
हरियाली तीज की कथा
माना जाता है कि इस कथा को भगवान शिव ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म के बारे में याद दिलाने के लिए सुनाया था। कथा कुछ इस प्रकार है-
शिवजी कहते हैं: हे पार्वती। बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किया था। मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया। तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुःखी और नाराज़ थे, ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे।
जब तुम्हारे पिता ने उनसे आगमन का कारण पूछा तो नारदजी बोले –
"हे गिरिराज! मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहाँ आया हूँ। आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूँ।’
नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले-
“हे नारदजी। यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती। मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं।"
शिवजी पार्वती जी से कहते हैं, “तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी, विष्णुजी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया। लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ। तुम मुझे यानि कैलाशपति शिव को मन से अपना पति मान चुकी थी।
तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई। तुम्हारी सहेली से सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना करना। इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुःखी हुए। वह सोचने लगे कि यदि विष्णुजी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा। उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम ना मिली।
तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी। भाद्रपद तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना कि जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की।
इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि-
“पिताजी, मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है। और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है। अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे।”
पर्वत राज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गये। कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि – विधान के साथ हमारा विवाह किया।”
भगवान् शिव ने इसके बाद बताया कि – “हे पार्वती! भाद्रपद शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका। इस व्रत का महत्त्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मन वांछित फल देता हूं। भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा।
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माँ पार्वती और भोलेनाथ की कृपा आप सभी पर बनी रहें ।
धन्यवाद 🙏