Shami Plant Significance हिंदू संस्कृति में कई तरह कि अलग अलग मान्यताए है उनमे से एक है यदि पेड़-पौधों को घर में लगाया जाए और उसकी पूजा कि जाए तो घर में सुख और समृधि बनी रहती है और सदा लक्ष्मी जी का वास बना रहता है।
इस ब्लॉग में हम आपको Dusshera दशहरा के दिन Shami Tree के पूजन का महत्व Shami Plant Significance, शमी वृक्ष की पूजा कैसे करे (विधि), शमी मन्त्र, शमी वृक्ष को किस दिन लगाये और शमी पूजन के द्वारा शनि प्रकोप से बचने के उपाय बताएँगे ।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शमी का वृक्ष बड़ा ही मंगलकारी माना गया है, कहा जाता है कि शमी का पेड़ लगाने और उसकी पूजा करने से देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और घर में खुशहाली आती है। शमी के वृक्ष की नियमित रूप से पूजा करने से शनि देव का प्रकोप कम होता है।
यूं तो शास्त्रों में शनि देव के प्रकोप को से बचने के कई उपाय बताएं गए हैं। शमी के पेड़ की पूजा करना सभी उपायों में से प्रमुख उपाय है। शमी के वृक्ष का प्रतिदिन पूजन करने से कामों में आने वाली बाधाएं दूर होती है।
Dusshera (दशहरा) के दिन Shami Plant के पूजन का महत्व Shami Plant Significance
दशहरे के दिन शमी के पौधे की पूजा करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है की शमी का वृक्ष भगवान श्री राम का प्रिय वृक्ष था। लंका पर आक्रमण करने से पहले उन्होंने शमी वृक्ष का पूजन कर के उससे विजयी होने का आशीर्वाद प्राप्त करा था। Shami Plant Significance
आज भी कई जगहों पर लोग रावण दहन के पश्चात शमी के पत्ते को स्वर्ण के प्रतीक के रूप में एक दूसरे को बाँटते हैं और उनके कार्यों में सफलता मिलने कि कामना करते हैं।
महाभारत काल में भी शमी वृक्ष का वर्णन किया गया है। पांडवो ने अपने एक साल के अज्ञातवास के दौरान अपने सारे अस्त्र इसी पेड़ पर छुपाये थे जिसमें अर्जुन का गांडीव धनुष भी था। कुरुक्षेत्र में कौरवों के साथ युद्ध के लिये जाने से पहले भी पांडवों ने शमी के वृक्ष का पूजन कर, उससे शक्ति और विजय की कामना की थी। तभी से ये मान्यता है की जो भी शमी वृक्ष कि पूजा करता है उसे शक्ति और विजय प्राप्त होती है।
यह भी कहा जाता हैं कि शमी के पेड़ के नीचे बैठ कर कालिदास ने तपस्या कर के ही ज्ञानार्जन किया था।
शमी की लकड़ी यज्ञ के लिए पवित्र मानी जाती है। शमी की समिधा का शनिवार के दिन विशेष महत्त्व होता है। शनि भगवान को शान्त रखने के लिये शमी की पूजा की जाती है। शमी को गणेश जी का भी प्रिय वृक्ष माना जाता है और इसकी पत्तियाँ गणेश जी की पूजा में भी चढ़ाई जाती हैं।
बिहार और झारखण्ड समेत आसपास के कई राज्यों में भी इस वृक्ष को पूजा जाता है और इसे लगभग हर घर के दरवाज़े के दाहिनी ओर लगा देखा जा सकता है। किसी भी काम पर जाने से पहले इसके दर्शन को शुभ माना जाता है।
शमी का पौधा किस दिन और कैसे लगाये
- विजयादशमी (दशहरा) के दिन शमी का पौधा लगाना सबसे अच्छा माना जाता है।
- शमी का पौधा आप शनिवार के दिन भी लगा सकते हैं। इसे आप गमले में या भूमि पर घर के मुख्य द्वार पर लगाएं, इसे घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए। Shami Plant Significance
- इसे सदैव आप अपने घर से निकलते समय ऐसी दिशा में लगाएं कि आप जब भी घर से बाहर निकले तो यह आपके दाहिने हाथ की तरफ पड़े।
- ईशान कोण अर्थात पूर्वोत्तर में शमी का वृक्ष घर में लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
शमी वृक्ष को किस दिन लगाये प्रश्न का उत्तर अब आपको ज्ञात हो चूका होगा
शमी का पौधा लगाते समय किन बातो का ध्यान दे
जैसा कि हम जानते है कि धार्मिक रूप से यह काफी पवित्र पौधा है तो इसे लगते वक्त हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए-
- हमेशा शमी के पौधे को पवित्र गमले में या साफ जगह में लगाएं।
- पौधे के आस पास नाली का पानी, नाली या कूड़ा वगैरा न रखा जाता हो, इस पौधे के गमले को ऐसी जगह रखें जहां कोई गन्दगी न हो ।
- शमी के पवित्र पौधे को लगाने के लिए जो भी मिट्टी साफ़ जगह से लायी गयी हो
- गमले में केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग नहीं करें।
- शमी के पौधे कि देख भाल काफी जरुरी है, इस पौधे को पानी की जादा जरूरत नहीं होती, लेकिन धूप बहुत चाहिए।
दशहरा के दिन शमी के वृक्ष की पूजन विधि (शमी वृक्ष की पूजा कैसे करे)
दशहरा यानी विजयादशमी के दिन प्रदोषकाल में शमी वृक्ष का पूजन किये जाने का विधान है। विजयादशमी के मौके पर कार्य सिद्धि का पूजन विजय काल में फलदायी रहता है।
आगे जानिये कि शमी के वृक्ष की पूजा कैसे करे–
विजयदशमी के दिन प्रदोषकाल में शमी के वृक्ष के समीप जाकर उसे प्रणाम करें, तत्पश्चात शुद्ध जल से शमी वृक्ष की जड़ में अर्पित करें उसके बाद वृक्ष के सम्मुख सरसों के तेल का दीपक जलाएं । दीप प्रज्वलन के पश्चात शमी वृक्ष के नीचे कोई सांकेतिक शस्त्र रखें। तत्पश्चात शमी वृक्ष एवं शस्त्र का यथाशक्ति धूप, दीप, नैवेद्य, आरती से पंचोपचार या षोडषोपचार पूजन करें। पूजन के बाद हाथ जोड़कर निम्नलिखित प्रार्थना करें-
शमी शम्यते पापम् शमी शत्रुविनाशिनी। अर्जुनस्य धनुर्धारी रामस्य प्रियदर्शिनी।।
करिष्यमाणयात्राया यथाकालम् सुखम् मया। तत्रनिर्विघ्नकर्त्रीत्वं भव श्रीरामपूजिता।।
शमी प्रार्थना
अर्थात हे शमी वृक्ष, आप पापों का क्षय करने वाले और दुश्मनों को पराजित करने वाले हैं। आप अर्जुन का धनुष धारण करने वाले हैं और श्रीराम को प्रिय हैं। जिस तरह श्रीराम ने आपकी पूजा की, हम भी करेंगे। हमारी विजय के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं से दूर करके उसे सुखमय बना दीजिए।
प्रार्थना उपरांत यदि आपको शमी वृक्ष के समीप शमी वृक्ष की कुछ पत्तियां गिरी मिलें तो उन्हें आशीर्वादस्वरूप ग्रहण कर लाल वस्त्र में लपेटकर सदैव अपने पास रखें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपको शमी वृक्ष से गिरी पत्तियां ही एकत्र करना है तथा शमी वृक्ष से पत्तियां तोड़नी नहीं हैं। इस प्रयोग से आप शत्रुबाधा से मुक्त एवं शत्रु पराभव करने में सफल होंगे।
दशहरा के दिन शमी के पत्तों की पूजा करने के अलावा उसके पत्तों को सोना मानकर दूसरों को देने का चलन भी काफी पुराना और प्रचलित है।
शमी के वृक्ष का महत्व
शमी वृक्ष शनि के प्रकोप (दुष्प्रभाव) से बचाता है
नवग्रहों में शनि देवता को न्यायाधीश का स्थान प्राप्त है, इसलिए जब शनि की दशा आती है, तब जातक को अच्छे-बुरे कर्मों का पूरा फल प्राप्त होता है। यही कारण है कि शनि के प्रकोप से लोग भयभीत रहते हैं । जिन लोगों को शनि की साढ़े साती है या शनि का दोष है उन्हें नियमित रूप से शमी के वृक्ष की देखरेख करनी चाहिए। शमी पूजन के द्वारा शनि प्रकोप से बचने के उपाय यह हैं कि उसमे प्रतिदिन प्रातःकाल जल चढ़ाये, उसके पश्चात वृक्ष के निचे दिया जलाएं। शनिवार के दिन प्रदोष काल में उसमे काले तिल और उड़द की दाल चढ़ाये और सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें, इससे शनि का दुष्प्रभाव और साढ़े साती कम होगी। शमी के पौधे का रोजाना दर्शन करने से दुर्घटनाएं कम होती है और शरीर स्वस्थ रहता है।
गणेश जी का प्रिय वृक्ष है शमी
शमी पत्र श्रीगणेश को दूर्वा की तरह ही बहुत प्यारा माना गया है। इसमें शिव का वास भी माना गया है, जो श्री गणेश के पिता हैं और मानसिक क्लेशों से मुक्ति देने वाले देवता हैं।
वहीं, भगवान गणेश की पूजा भी मन को शक्ति और उर्जा देती है। भगवान गणेश की आराधना में भी कुछ सरल उपाय घर-परिवार में क्लेश को दूर करने वाले माने गए हैं। यही कारण है कि शमी पत्र को चढ़ाना भगवान गणेश को प्रसन्न करके मन एवं बुद्धि को पवित्र कर मानसिक शक्ति देने वाला है। यदि आप अपने परिवार को शांत और खुशहाल रखना चाहते हैं तो :-
-सुबह स्नान कर भगवान श्रीगणेश का ध्यान और पूजा करें।
-पूजा में अक्षत, पुष्प, सिंदूर और दूर्वा के पश्चात् नीचे लिखे मंत्र के साथ शमी पत्र अर्पित करें ।
त्वत्प्रियाणि सुपुष्पाणि कोमलानि शुभानि वै।
शमी दलानि हेरम्ब गृहाण गणनायक।।
रोगों से मुक्ति दिलाता है
अगर आपको कोई ऐसा रोग है जो दूर नहीं हो रहा है तो शनिवार के दिन शाम को शमी के गमले में पत्थर या किसी धातु का शिवलिंग स्थापित करें। शिवलिंग पर दूध चढाएं और विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद महा-मृत्युजन्य मन्त्र का जाप करें। ऐसा करने से घर के किसी भी व्यक्ति को लगी कोई भी व्याधि दूर हो जाएगी ।
वास्तु दोष दूर करें
वास्तु दोष दूर करने के लिए घर में शमी का पौधा लगाना चाहिए यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायक होता है। इससे घर के सदस्यों में एकता, प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
शमी के वृक्ष का दर्शन शुभ माना जाता है Shami Plant Significance
उत्तर भारत के बिहार और झारखंड में सुबह के समय उठने के बाद शमी के वृक्ष के दर्शन को शुभ माना जाता है। बिहार और झारखंड में यह वृक्ष अधिकतर घरों के दरवाजे के बाहर लगा हुआ मिलता है। लोग किसी भी काम पर जाने से पहले इसके दर्शन करते और इसे माथे से लगाते हैं, ऐसे करने से उन्हें उस काम में कामयाबी मिलती है।
शमी वृक्ष की लकड़ी का उपयोग
यह मान्यता हैं कि शमी के वृक्ष पर कई देवो का वास होता है। शमी वृक्ष की लकड़ी का उपयोग यज्ञ में शुभ माना जाता है। शमी के कांटों का उपयोग नकारात्मक शक्तियों और तंत्र-मंत्र बाधा के विनाश के लिए उपयोग में लाया जाता है। शमी के पंचाग यानी जड़, फूल, पत्तियों, टहनियों और रस का इस्तेमाल कर शनि संबंधी दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है।
आशा करती हूँ उपरोक्त दी गयी जानकारी Shami Plant Significance आपको पसंद आई होगी, किसी अन्य सुझाव और सलाह के लिए कमेंट करें।
धन्यवाद 🙂