इतिहास
क्यूँ मनाते हैं गुड़ी पड़वा पर्व? What is Gudi Padwa 2022 की तिथि, पूजन विधि, शुभ मुहूर्त
गुडी पडवा 2022 तिथि Gudi Padwa 2022 शुभ मुहूर्त, महत्व और मान्यताएं, जानिए क्या है Marathi New Year गुड़ी पड़वा मनाने की विधि गुड़ी पड़वा के पूजन-मंत्र
Last updated on May 27th, 2022 at 01:27 pm
Gudi Padwa 2022: गुड़ी पड़वा की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और मान्यताएं, जानिए क्या है Marathi New Year
विषय सूची:
नवरात्र के साथ ही गुड़ी पड़वा की दस्तक होती है। कहा जाता है कि इसी दिन से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है।
गुड़ी पड़वा हिंदुओं के सबसे बहुप्रतीक्षित त्योहारों में से एक है और एक नए साल की शुरुआत है। इसे अक्सर हिंदुओं के पहले पवित्र त्योहार के रूप में माना जाता है।
हिंदू पवित्र ग्रंथों के अनुसार, यह माना जाता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया था।इसलिए, यह नए साल की शुरुआत को चिह्नित करता है और इस प्रकार हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।
Gudi Padwa 2022
गुडी पडवा 2022 तिथि:
यह त्योहार भारत के विभिन्न राज्यों में अत्यधिक लोकप्रिय है। यह देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से प्रसिद्ध है
- गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे संवत्सर पड़वो नाम से मनाता है।
- कर्नाटक में यह पर्व युगाड़ी नाम से जाना जाता है।
- आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा को उगाड़ी नाम से मनाते हैं।
- कश्मीरी हिन्दू इस दिन को नवरेह के तौर पर मनाते हैं।
- मणिपुर में यह दिन सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा कहलाता है।
- इस दिन चैत्र नवरात्रि भी आरम्भ होती है।
गुडी कैसे लगाते है और उसका वर्णन:
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गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है?
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गुड़ी पड़वा मनाने की विधि-
गुड़ी पड़वा के पूजन-मंत्र:
प्रातः व्रत संकल्प:
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रःअमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजः श्रीब्रह्मणःप्रसादाय व्रतं करिष्ये।
शोडषोपचार पूजा संकल्प:
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रःअमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजो भगवतः श्रीब्रह्मणः षोडशोपचारैः पूजनं करिष्ये।
ॐ चतुर्भिर्वदनैः वेदान् चतुरो भावयन् शुभान्। ब्रह्मा मे जगतां स्रष्टा हृदये शाश्वतं वसेत्।।
गुड़ी कैसे लगाएँ:
- जिस स्थान पर गुड़ी लगानी हो, उसे भली–भांति साफ़ कर लेना चाहिए।
- उस जगह को पवित्र करने के लिए पहले स्वस्तिक चिह्न बनाएँ।
- स्वस्तिक के केन्द्र में हल्दी और कुमकुम अर्पण करें।
- सम्राट शालिवाहन द्वारा शकों को पराजित करने की ख़ुशी में लोगों ने घरों पर गुड़ी को लगाया था।
- कुछ लोग छत्रपति शिवाजी की विजय को याद करने के लिए भी गुड़ी लगाते हैं।
- यह भी मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने इस दिन ब्रह्माण्ड की रचना की थी। इसीलिए गुड़ी को ब्रह्मध्वज भी माना जाता है। इसे इन्द्र–ध्वज के नाम से भी जाना जाता है।
- भगवान राम द्वारा 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आने की याद में भी कुछ लोग गुड़ी पड़वा का पर्व मनाते हैं।
- माना जाता है कि गुड़ी लगाने से घर में समृद्धि आती है।
- गुड़ी को धर्म–ध्वज भी कहते हैं; अतः इसके हर हिस्से का अपना विशिष्ट अर्थ है–उलटा पात्र सिर को दर्शाता है जबकि दण्ड मेरु–दण्ड का प्रतिनिधित्व करता है।
- किसान रबी की फ़सल की कटाई के बाद पुनः बुवाई करने की ख़ुशी में इस त्यौहार को मनाते हैं। अच्छी फसल की कामना के लिए इस दिन वे खेतों को जोतते भी हैं।
- हिन्दुओं में पूरे वर्ष के दौरान साढ़े तीन मुहूर्त बहुत शुभ माने जाते हैं। ये साढ़े तीन मुहूर्त हैं–गुड़ी पड़वा, अक्षय तृतीया, दशहरा और दीवाली को आधा मुहूर्त माना जाता है।
- महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग’ की रचना भी इसी दिन की थी।
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