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Durga Chalisa दुर्गा चालीसा Aarti आरती Lyrics With HD Image
Durga Chalisa दुर्गा चालीसा Aarti आरती Hindi Lyrics With HD Image Maa Durga Chalisa पाठ माता दुर्गा की नियमित रूप से पूजा करने और उनकी चालीसा
Last updated on October 12th, 2022 at 11:09 am
Maa Shri Durga Chalisa (दुर्गा चालीसा) आरती Aarti Hindi Lyrics HD Image
माँ दुर्गा एक हिंदू देवी हैं जो शक्ति और आश्रय का प्रतीक मानी जाती। हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा को सर्वोच्च माना जाता है। Durga Chalisa ऐसी मान्यता है 8 भुजाओ वाली माँ दुर्गा शेर पर सवार होकर पापों HD Image का नाश, बुराइयों से लड़ कर Durga Aarti Lyrics और उनका नाश कर के बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
माता दुर्गा की नियमित रूप से पूजा करने और उनकी चालीसा पढने से आस पास की सारी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती हैं।
माँ दुर्गा की आठ भुजाएँ हैं हर हाथ में अलग-अलग हथियार धारण किये हुए है जो अलग अलग दिशाओं की ओर इशारा करती हैं। नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा की जाती है।
दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa Lyrics) पाठ
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें।
मोह मदादिक सब विनाशावे
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
माँ दुर्गा आरती ( Maa Durga Aarti)
माँ दुर्गा को शक्ति, पराक्रम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता हैं। मां दुर्गा का योद्धा रूप ब्रह्मांड में शांति लाने के लिए और नकारात्मकता शक्तियों को दूर करने के लिए जाना जाता है।
नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। आमतौर पर दुर्गा मां के भक्त उनकी पूजा करते समय चालीसा, मंत्र और भजनों का उच्चारण करके करते हैं और उनकी आरती के साथ उनकी पूजा का समापन करते है ।
देसीज्ञानी अपने पाठको के लिए माँ दुर्गा की आरती नीचे प्रस्तुत कर रहा है जिसे आप पढ़ कर अपनी पूजा संपन्नकर सकते हैं।
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निसदिन ध्यावत हरि ब्रम्हा शिवरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको
उज्जवल से दोऊ नैना चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे।
रक्तपुष्प गल माला कण्ठन पर साजे॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्पर धारी।
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुःख हारी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कानन कुंडल शोभित नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत सम ज्योति॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
शुंभ निशंभु विदारे महिषासुरधाती
धूम्रविलोचन नैना निशदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
चण्ड मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
ब्रम्हाणी रुद्राणी तुम कमलारानी।
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
चौसंठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा अरु डमरु॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता
भक्तन की दुख हरता सुख सम्पत्ति कर्ता
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बात्ती।
श्री माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
श्री अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पावे॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
दुर्गा चालीसा Durga Chalisa Aur Aarti और दुर्गा आरती पढने से नकारात्मक उर्जा का नाश होता और सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है। घर में खुशहाली, सुख समृधि आती हैं, मानसिक शांति और जीवन में सफलता मिलती हैं।
FAQ About Durga Chalisa
दुर्गा चालीसा किसने लिखा हैं ?
दुर्गा चालीसा की रचना देवीदास जी ने की थी।
दुर्गा चालीसा वाचन से क्या लाभ हैं?
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है, ऐसी मान्यता है कि दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ कर व्यक्ति अपना खोया हुआ सुख, सम्पत्ति, सम्मान और ऐश्वर्य भी वापिस प्राप्त कर सकता है।
आप सब इस नवरात्रि पढ़ें माँ दुर्गा की चालीसा और आरती और दूर करें अपने घर के सारे कष्टों को और एक खुशहाल जीवन व्यतीत करें।
जय माँ दुर्गे