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Pitru Paksha :इस वर्ष पितृ पक्ष की तिथियाँ, मंत्र और जल देने का तरीका ?
पितृ पक्ष: पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए मंत्र हैं, जैसे “ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः”, “ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः” और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
पितृ पक्ष एक विशेष समय होता हैं जिसमें हम अपने पितरों का विधि विधान से श्राद्ध करते हैं जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती हैं और हमें पितरों का आशीर्वाद मिलता हैं।
- पितृ पक्ष (श्राद्ध) 29 सितंबर, 2023 से शुरू होने जा रहा हैं 14 अक्टूबर, 2023 को इसका समापन होगा।
- पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष पितृपक्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि को प्रारंभ होता हैं और आश्विन माह की अमावस्या तिथि पर इसका समापन होता हैं ।
- पितृपक्ष में अपने पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता हैं
2023 में पितृ पक्ष कब शुरू हो रहा है?
जैसा की हम जानते हैं कि, पितृ पक्ष प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है और आश्विन माह की अमावस्या तिथि को समाप्त होता हैं।
इस वर्ष पितृपक्ष 29 सितंबर, 2023 से 14 अक्टूबर, 2023 तक चलेगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष एक ऐसा समय है जब लोग अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं। इस समय पितरों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष प्राप्ति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और अन्य अनुष्ठान किसी श्रेष्ठ पंडित से कराने का विधान हैं।
पूर्णिमा तिथि
पूर्णिमा | दिनांक | समय |
---|---|---|
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 28 सितम्बर 2023 | 06:49 PM |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 29 सितम्बर 2023 | 03:26 PM |
पितृ पक्ष श्राद्ध और तर्पण
पितृ पक्ष, जो पूर्णिमा के एक दिन बाद शुरू होता है, चंद्र चक्र के घटते हिस्से की शुरुआत का प्रतीक है। लगभग 15 दिनों की यह अवधि बहुत महत्वपूर्ण है। पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों के लिए कई अनुष्ठान करते हैं, जैसे तर्पण, पिंड दान, श्राद्ध, पंचबली भोग, और बहुत कुछ। काला तिल, गेहूं, कुश घास और सफेद आटे के साथ मिश्रित पानी को तर्पण कहा जाता है।
ऐसी मान्यता हैं कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वजों की आत्मा धरती पर आकर किसी न किसी रूप में हमारे बीच में रहती हैं और हमारे किये गये अनुष्ठानों और कार्यो से खुश होकर हमारे जीवन में सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए हमें पितृपक्ष के दौरान कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे हमारे पितृ हमसे नाराज हो या हमारे किये कार्यों से वो दुखी हो ।
पितरों के तर्पण की प्रक्रिया पूर्वजों को खुश करती है। श्रद्धा संस्कार को पूरा करने के लिए आपको ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए और यथाशक्ति दान भी करना चाहिए। लोगों का मानना है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों के श्राद्ध की प्रकियाँ को पूरा करने से पितृ दोष उनकी कुंडली से दूर हो जाता हैं।
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पिंडदान करने का कारण
पिंड दान का अर्थ होता हैं “आत्मा को भोजन देना”, यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे पूर्वज मोक्ष तक पहुँचें, “मोक्ष” का अर्थ है- “जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त होना”। ज्योतिषशास्त्र का कहना है कि जो लोग पितृ दोष (पूर्वजों के अभिशाप) के अधीन हैं, उन्हें पित्रपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध इत्यादि अनुष्ठान करने चाहिए जिससे वो पित्रदोष से मुक्त हो सकें।
पितृ पक्ष तिथियाँ (Dates of Pitru Paksha 2023)
दिनांक | दिन | तिथि |
---|---|---|
29 सितंबर 2023 | शुक्रवार | पूर्णिमा और प्रतिपदा |
30 सितंबर 2023 | शनिवार | द्वितीया तिथि |
1 अक्टूबर 2023 | रविवार | तृतीया तिथि |
2 अक्टूबर 2023 | सोमवार | चतुर्थी तिथि |
3 अक्टूबर 2023 | मंगलवार | पंचमी तिथि |
4 अक्टूबर 2023 | बुधवार | षष्ठी तिथि |
5 अक्टूबर 2023 | गुरुवार | सप्तमी तिथि |
6 अक्टूबर 2023 | शुक्रवार | अष्टमी तिथि |
7 अक्टूबर 2023 | शनिवार | नवमी तिथि |
8 अक्टूबर 2023 | रविवार | दशमी तिथि |
9 अक्टूबर 2023 | सोमवार | एकादशी तिथि |
10 अक्टूबर 2023 | मंगलवार | मघा श्राद्ध |
11 अक्टूबर 2023 | बुधवार | द्वादशी तिथि |
12 अक्टूबर 2023 | गुरुवार | त्रयोदशी तिथि |
13 अक्टूबर 2023 | शुक्रवार | चतुर्दशी तिथि |
14 अक्टूबर 2023 | शनिवार | सर्व पितृ अमावस्या |
पितृ पक्ष के इन 16 दिनों के दौरान जिन पूर्वजों की मृत्यु हो चुकी है उनकी तिथि के आधार पर पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध जैसे कर्म किए जाते हैं। जल देना एक परंपरा है जिसे पितृ पक्ष के दौरान बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन जब आप तर्पण करते हैं तो कुछ चीजें आपको याद रखनी चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान आपको पता होना चाहिए कि अपने बड़ों को कब और कैसे पानी देना है।
पितरों को जल देते समय तिल और कुश का क्या महत्व हैं?
पितृ पक्ष के दौरान जब हम अपने बड़ों को जल देते हैं तो उसमें कुश और तिल का बहुत महत्व माना जाता है। इसके बिना संस्कार पूरा नहीं होता।
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हिंदू धर्म में, कुश भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करते है, और भगवान विष्णु तिल में निवास करते हैं। बहुत से लोग सोचते हैं कि यदि आप अपने पूर्वजों को कुश देंगे तो भगवान विष्णु की कृपा से उनका उद्धार हो जाएगा। पितर भी आपसे प्रसन्न होंगे और आपको आशीर्वाद देंगे।
अपने पितरों को जल देने का तरीका
अपनी जरूरत की चीजें ले आएं और पानी देने से पहले दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठें। फिर हाथ जोड़कर जल, कुश, अक्षत, फूल और काले तिल रखें। फिर, अपने बड़ों के बारे में सोचें और उन्हें पीने के लिए कहें। इसके बाद पितरों को जल दें। जब आप मृतक को पानी दे रहे हों तो उस पानी को पांच से सात या ग्यारह बार जमीन पर फेंकें। याद रखें कि पितृ पक्ष के दौरान जल देते समय आपको अपने विचारों, कार्यों और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए।
पितरों को जल चढ़ाते समय किस मंत्र को बोलना चाहिए?
पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों को जल देते समय ध्यान केंद्रित करते हुए उन्हें कहना चाहिए, “वसु के रूप में मेरे पिता या पूर्वज जल ग्रहण करके प्रसन्न हों।”
जल देते समय हमेशा अपने गोत्र का नाम और (अपने दादा का नाम) लेते हुए वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं मंत्र का बोलना चाहिए या “तस्मै स्वधा नमः” मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। पानी देते समय कोई भी मंत्र को तीन बार बोलें।
पितृ दोष निवारण मंत्र
पितृपक्ष में ध्यान देने योग्य बातें
- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी तीन पीढ़ी (generation) जैसे अपने पिता, दादा, परदादा और नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहिए।
- यदि संयुक्त परिवार हैं तो घर के सबसे बड़े बेटे को सारे पित्रकर्म करने चाहिए।
- जिन लोगों ने अपने पूर्वजों की संपत्ति का उपभोग किया और उसे श्राद्ध नहीं किया, वे पितरों द्वारा शप्त होकर कई दुखों का सामना करना पड़ता है।
- पित्रपक्ष के दौरान तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए ।
- इन दिनों में बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए।
- किसी भी जीव पक्षी को सताना नहीं चाहिए।
- श्राद्ध की प्रक्रिया पूरी होने के पश्च्यात ब्राम्हणों को दान देना चाहिए और जितना हो सके उतना जरुरतमंदो की मदद करें। साथ ही साथ गाय, कुत्ते और कौवा के लिए भोजन अवश्य निकालें।
2023 में पितृ पक्ष कब हैं?
2023 में पितृपक्ष 29 सितंबर, 2023 से 14 अक्टूबर, 2023 तक चलेगा।
पितृ दोष निवारण मंत्र क्या हैं?
ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः’, ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
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