तीज त्यौहार
गोवर्धन पूजा क्या होती हैं? पूजन विधि, महत्त्व और पौराणिक कथा
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। यानी दीपावली के अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा क्या होती हैं? पूजन विधि, महत्त्व और पौराणिक कथा
Last updated on September 22nd, 2023 at 11:22 am
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। यानी दीपावली के अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानि गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। इसके साथ ही वरुण देव, इंद्र देव और अग्नि देव आदि देवताओं की पूजा का भी विधान है। गोवर्धन पूजा क्या होती हैं, गोवर्धन पूजा कृष्ण लीला, गोवर्धन भजन, गोवर्धन धाम पूजन विधि, महत्त्व और पौराणिक कथा, गोधन कब है 2023
जैसा की हम सभी जानते हैं की गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन की जाती हैं।
गोधन कब है ? j?
इस वर्ष 14 नवम्बर दिन मंगलवार को गोवर्धन पूजा होगी। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।
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गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त
तिथि | तारीख और दिन | समय |
---|---|---|
प्रतिपदा तिथि | 13 नवम्बर, दिन सोमवार | 2:56 PM मिनट |
प्रतिपदा तिथि समाप्त | 14 नवम्बर, दिन मंगलवार | 2:36 PM मिनट |
शुभ मुहूर्त | 14 नवम्बर, दिन मंगलवार | 6:42 AM मिनट से लेकर 8:52 AM |
गोवर्धन पूजा क्या होती हैं इसके नियम और विधि
गोवर्धन पूजा का भारतीय जन जीवन में बड़ा महत्व है। वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानि गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है।
यह त्यौहार हमें इस बात का संदेश देता है कि हमारा जीवन प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए संसाधनों पर निर्भर है और इसके लिए हमें उनका सम्मान और धन्यवाद करना चाहिए। गोवर्धन पूजा के जरिए हम समस्त प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।
विधि
- गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है। गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय की जाती है।
- पूजन के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाये जाने चाहिए। इसी दिन गाय-बैल और कृषि काम में आने वाले पशुओं की भी पूजा की जाती है।
- गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं।
- पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनका जयकारा लगाया जाता हैं । परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है।
- गोवर्धन गिरि भगवान के रूप में माने जाते हैं और इस दिन उनकी पूजा घर में करने से धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है।
- गोवर्धन पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है। इस मौके पर सभी कारखानों और उद्योगों में मशीनों की पूजा होती है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों को इंद्र देवता के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था तभी से गोवर्धन पर्वत की पूजा का प्रचलन है।
- इस दिन गौ माता की भी पूजा की जाती है, क्योंकि गौ माता ना केवल हमें पौष्टिक आहार देती है, बल्कि हमें निरोगी काया का भी वरदान देती है।
- गोवर्धन की पूजा मुख्यता अन्न, धन और संपत्ति की रक्षा के लिए की जाती है, इसलिए हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है।
- इस दिन ब्रजवासियों के देवता भगवान गिरिराज को भी अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा मन्त्र
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।
गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा
विष्णु पुराण में गोवर्धन पूजा के महत्व का वर्णन मिलता है। बताया जाता है कि देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था और भगवान श्री कृष्ण इंद्र के अहंकार को चूर करने के लिए एक लीला रची थी। इस कथा के अनुसार एक समय गोकुल में लोग तरह-तरह के पकवान बना रहे थे और हर्षोल्लास के साथ गीत गा रहे थे। यह सब देखकर बाल कृष्ण ने यशोदा माता से पूछा कि, आप लोग किस उत्सव की तैयारी कर रहे हैं। कृष्ण से सवाल पर मां यशोदा ने कहा कि, हम देवराज इंद्र की पूजा कर रहे हैं। माता यशोदा के जवाब पर कृष्ण ने फिर पूछा कि हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं। तब यशोदा मां ने कहा कि, इंद्र देव की कृपा से अच्छी बारिश होती है और अन्न की पैदावार होती है, हमारी गायों को चारा मिलता है।
माता यशोदा की बात सुनकर कृष्ण ने कहा कि, अगर ऐसा है तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि हमारी गाय वहीं चरती है, वहां लगे पेड़-पौधों की वजह से बारिश होती है। कृष्ण की बात मानकर सभी गोकुलवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी। यह सब देख देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। प्रलयकारी वर्षा देखकर सभी गोकुल वासी घबरा गए।
इस दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीला दिखाई और गोवर्धन पर्वत को छोटी सी अंगुली पर उठा लिया और समस्त ग्राम वासियों को पर्वत के नीचे बुला लिया। यह देखकर इंद्र ने बारिश और तेज कर दी लेकिन 7 दिन तक लगातार मूसलाधार बारिश के बावजूद गोकुल वासियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इसके बाद इंद्र को अहसास हुआ कि मुकाबला करने वाला कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता है। इंद्र को जब यह ज्ञान हुआ कि वह भगवान श्री कृष्ण से मुकाबला कर रहा था, इसके बाद इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा याचना की और स्वयं मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया। इस पौराणिक घटना के बाद से गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई।
गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। जहां हर साल देश और दुनिया से लाखों श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के लिए पहुंचते हैं।
गोवर्धन परिक्रमा मंत्र
गोवर्धन जी की परिक्रमा करते वक्त निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
ॐ ह्रीं ह्रीं गोवर्धनाय भद्राय ऐं ऐं ॐ नमः
गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट उत्सव
- गोवर्धन पूजा के मौके पर मंदिरों में अन्न कूट का आयोजन किया जाता है। अन्न कूट यानि कई प्रकार के अन्न का मिश्रण, जिसे भोग के रूप में भगवान श्री कृष्ण को चढ़ाया जाता है।
- कुछ स्थानों पर विशेष रूप से बाजरे की खिचड़ी बनाई जाती है, साथ ही तेल की पूड़ी आदि बनाने की परंपरा है।
- अन्न कूट के साथ-साथ दूध से बनी मिठाई और स्वादिष्ट पकवान भोग में चढ़ाए जाते हैं।
- पूजन के बाद इन पकवानों को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को बांटा जाता है।
- कई मंदिरों में अन्न कूट उत्सव के दौरान जगराता किया जाता है और भगवान श्री कृष्ण की आराधना कर उनसे खुशहाल जीवन की कामना की जाती है।
गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है
इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानि गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है।
यह त्यौहार हमें इस बात का संदेश देता है कि हमारा जीवन प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए संसाधनों पर निर्भर है और इसके लिए हमें उनका सम्मान और धन्यवाद करना चाहिए। गोवर्धन पूजा के जरिए हम समस्त प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।
गोवर्धन पूजा कैसे की जाती है?
गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है। गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय की जाती है।
पूजन के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाये जाने चाहिए। इसी दिन गाय-बैल और कृषि काम में आने वाले पशुओं की भी पूजा की जाती है।
गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं।
पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनका जयकारा लगाया जाता हैं
अन्नकूट क्यों मनाया जाता है?
अन्नकूट उत्सव गोवर्धन पूजा के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण को कई तरह के अन्न का मिश्रण भोग के रूप में भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता है।
गोवर्धन पूजा करने से क्या लाभ होता है?
गोवर्धन पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है।