तीज त्यौहार
जानें कब हैं नरक चतुर्दशी ? इसे क्यूँ मनाया जाता हैं, शुभ मुहूर्त, उपाय और पौराणिक कथा
कब हैं नरक चतुर्दशी ? धनतेरस और दीपावली के बीच नरक चतुर्दशी का त्यौहार आता है। प्रत्येक वर्ष कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती हैं।
Last updated on September 23rd, 2023 at 03:35 pm
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस और दीपावली के बीच नरक चतुर्दशी का त्यौहार आता है । कब हैं नरक चतुर्दशी ?प्रत्येक वर्ष कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती हैं। इस वर्ष नरक चतुर्दशी 12 नवम्बर को मनाई जायेगी । इसे काली चौदस, नरक चौदस, रूप चौदस, छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है ।
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नरक चतुर्दशी क्यों और कैसे मनाई जाती हैं ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता “यमराज” की पूजा की जाती है। इस दिन शाम के समय दिया जलाते हैं और यमराज की पूजा कर अकाल मृत्यु से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस वध किया था, तभी से इस दिन को नरक चतुर्दशी कहते हैं । इस दिन घर से दूर एक यम का दीपक जलाया जाता है।
नरक चतुर्दशी के शुभ मुहूर्त (Narak Chaturdashi 2023 Shubh Muhurat) (कब हैं नरक चतुर्दशी)
- पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 नवम्बर को दोपहर 01:57 मिनट से 12 नवम्बर दोपहर 02:44 मिनट तक रहेगी।
- नरक चतुर्दशी पर दीपदान प्रदोष काल यानी शाम को किया जाता है।
यमराज की पूजा क्यों की जाती हैं ?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार में बलि से तीन पग धरती मांगकर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया तब बलि ने उनसे प्रार्थना की- ‘हे प्रभु! आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरा संपूर्ण राज्य नाप लिया। इसलिए जो व्यक्ति मेरे राज्य में चतुर्दशी पर यमराज के लिए दीपदान करे, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए। भगवान वामन ने बलि की ये प्रार्थना स्वीकार कर ली और तभी से कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर यमराज के निमित्त दीपदान करने की परंपरा चली आ रही है।
नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा
नरक चतुर्दशी की कथा के अनुसार, नरकासुर नामक राक्षक ने सभी देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया । अलौकिक शक्तियां होने के कारण उससे युद्ध करना किसी के वश में नहीं था । नरकासुर की यातनाएं बढ़ती गईं । तब सभी देवता भगवान कृष्ण के पास पहुंचे । सभी देवताओं की स्थिति देखते हुए श्रीकृष्ण उनकी मदद को तैयार हुए ।
जैसा कि नरकासुर को श्राप मिला हुआ था कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथों होगी । तब बड़ी चतुराई से भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी के सहयोग से कार्तिक के महीने में कृष्ण पक्ष के 14वें दिन नरकासुर को वध कर दिया । नरकासुर की मृत्यु के बाद 16 हजार बंधकों को मुक्त कर दिया गया । तब से इन 16 हजार बंधकों को पटरानियों के नाम से जाना जाने लगा । नरकासुर की मृत्यु के बाद कार्तिक मास की अमावस्या को लोग नरक चतुर्दशी मनाने लगे ।
नरक चतुर्दशी के दिन किये जाने वाले उपाय
- नरक चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्य निकलने से पहले उठ जाएं और अपने पूरे शरीर पर तिल्ली का तेल मल लें। अब अपामार्ग (चिचड़ी) जो कि एक औधषीय पौधा होता है उसकी पत्तियों को पानी में डालकर नहा लें ऐसा करने से व्यक्ति को नरक के भय से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन स्नान के बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुख कर के हाथ जोड़कर खड़े हो जाये और यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से साल भर आपके द्वारा किए गए पापों का नाश हो जाता है।
- नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन स्नान के बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति भी होती है।
- इस दिन शाम के समय सभी देवताओं की पूजा अर्चना करने के बाद तेल का दिया जलाएं और घर की चौखट के दोनों ओर रख दें। मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी हमेशा घर में निवास करती हैं।
- मान्यतानुसार नरक चतुर्दशी की रात एक बड़ा सा दीपक जलाएं। इसे पूरे घर में घुमाएं और फिर उसे घर से बाहर कहीं दूर ले जाकर रख दें। इसे यम का दीया कहा जाता है। इस दीए को पूरे घर में घुमाकर बाहर ले जाने से घर की सभी बुरी और नकारात्मक शक्तियां घर से बाहर चली जाती है।
- नरक चतुर्दशी के दिन कुलदेवी, कुल देवता, और पितरों के नाम से भी दिया जलाएं। ऐसी मान्यता है कि इन दीपकों की रोशनी से पित्तरों को अपने लोक का रास्ता मिलता है और वे प्रसन्न होते हैं।
- संतान सुख प्राप्ति के लिए नरक चौदस के दिन दीपदान करना चाहिए। दीपदान से वंश की वृद्धि होती है।
रूप चौदस (नर्क चतुर्दशी) का महत्व
दीपावली का त्यौहार पांच दिन का त्यौहार है, जिनमे दीपवली से ठीक एक दिन पहले रूप चौदस का त्यौहार आता है. इसे छोटी दिवाली, नर्क चतुर्दशी और काली चतुर्दशी भी कहते है. इसे छोटी दिवाली इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह दिवाली से ठीक एक दिन पहले आती है और इस दिन भी दिवाली की तरह दीप जलाये जाते है. कब हैं नरक चतुर्दशी
रूप चौदस या नर्क चतुर्दशी कार्तिक मॉस की चौदस को मनाई जाती है. कहते है की अगर इस दिन सही तरीके और विधि-विधान से पूजा की जाए तो सारे पापों से छुटकारा मिल जाता है. इस दिन भी रात को दीपक जलाये जाते है और यह दीपावली के पांच दिनों में मध्य का त्यौहार है.
कब हैं नरक चतुर्दशी?
इस वर्ष 12 नवम्बर 2023 को नरक चतुर्दशी हैं।
नरक चतुर्दशी के दिन किसकी पूजा की जाती हैं?
नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता “यमराज” की पूजा की जाती है।
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा क्यों की जाती है?
मान्यता हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और संध्या के समय दीप दान करने से नर्क की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
नरक चतुर्दशी के दिन क्या नही करना चाहिए ?
इस दिन भूल से भी अपने घर को अकेला नही छोड़ना चाहिए।