तीज त्यौहार
करवाचौथ कब हैं? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा गूगल ड्राइव PDF Download
करवाचौथ कब हैं- करवाचौथ का व्रत प्रतिवर्ष कार्तिक माह के कृष्णा पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता हैं। इस वर्ष 01 नवम्बर 2023, दिन बुधवार को करवाचौथ का व्रत पड़ रहा हैं।
Last updated on September 29th, 2023 at 11:49 pm
करवाचौथ कब हैं? करवा चौथ हिंदू विवाहित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। विवाहित महिलाएं अपने पति की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए सूर्योदय और चंद्रोदय के बीच दैनिक उपवास रखती हैं। यह सबसे प्रिय त्योहारों में से एक है जो विवाह बंधन का सम्मान करता है।
- करवाचौथ का व्रत प्रतिवर्ष कार्तिक माह के कृष्णा पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता हैं ।
- करवाचौथ कब हैं?–> 2023 में करवाचौथ का व्रत 1 नवम्बर, दिन बुधवार को पड़ रहा हैं।
- सुहागिन महिलाएँ अपने अखंड सौभाग्य के लिए इस दिन निर्जला उपवास करती हैं।
करवाचौथ कब हैं और करवाचौथ का व्रत क्यों रखा जाता हैं ?
करवा चौथ संकष्टी चतुर्थी के दिन ही पड़ता है, जिस दिन लोग भगवान गणेश के लिए उपवास करते हैं। विवाहित महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं, और रीति-रिवाजों का पालन करती हैं ताकि उनके पति की उम्र लंबी हो। विवाहित महिलाएं भगवान शिव और उनके परिवार का सम्मान करती हैं, जिसमें भगवान गणेश भी शामिल हैं। वे तब तक अपना व्रत नहीं तोड़ते जब तक कि वे चंद्रमा को न देख लें और उसे अर्घ्य न दे दें। करवा चौथ एक निर्जला व्रत हैं, जिसके दौरान लोग सूर्योदय से लेकर रात में चंद्रमा देखने तक कुछ भी नहीं खाते या पीते हैं। करवाचौथ कब हैं?
इस दिन को आप कर्क चतुर्थी (गर्ग चतुर्थी) के नाम से भी जानते होंगे। चंद्रमा को जल का अर्घ्य मिट्टी से बने बर्तन में दिया जाता है जिसे करवा या करक कहा जाता है। इस बर्तन को अर्घा (उर्ट) कहा जाता है। पूजा के दौरान करवा का बहुत महत्व होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान के रूप में भी दिया जाता है।करवाचौथ कब हैं?
करवा चौथ के चार दिन बाद लड़कों की रक्षा के लिए अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है।
2023 करवाचौथ शुभ मुहूर्त (करवाचौथ कब हैं)
हिन्दू पंचांग के अनुसार, करवाचौथ का व्रत प्रतिवर्ष कार्तिक माह के कृष्णा पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता हैं। इस वर्ष 01 नवम्बर 2023, दिन बुधवार को करवाचौथ का व्रत पड़ रहा हैं। इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ अपने अखंड सौभाग्य के लिए करवाचौथ का निर्जला व्रत रखती हैं। करवाचौथ कब हैं?
शुभ मुहूर्त (करवाचौथ कब हैं?)
तिथि | तारीख और दिन | समय |
---|---|---|
चतुर्थी तिथि प्रारंभ | 31 अक्टूबर 2023, मंगलवार | 09:30 PM |
चतुर्थी तिथि समाप्त | 1 नवम्बर 2023, बुधवार | 09:19 PM |
पूजा मुहूर्त | 1 नवम्बर 2023, बुधवार | 05:36 PM से 06:54 PM |
पूजा विधि
- करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। मंदिर की सफाई करके दीपक प्रज्जवलित करें।
- उसके बाद निर्जला व्रत का संकल्प लें और विधि विधान से देवी देवताओं की पूजा करें।
- शाम को नहाने के बाद, आप करवा चौथ पूजन की तैयारी करें, पूजा वाले स्थान पर गेरू से फलक बनाएं और चावल पीसकर करवा की प्रतिमा बनाएं।
- इस दिन प्रसाद में आठ पूरी और साथ में हलवा या खीर का भोग बनाना चाहिए।
- इस शुभ दिन शिव परिवार की पूजा की जाती हैं।
- एक चौकी पर मां गौरी को स्थापित करें और उन्हें लाल रंग की चुनरी ओढ़ा कर शृंगार का सामान भेट करें।
- चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए मां गौरी के सामने जल से भरा कलश रखें।
- पूजा करने के पश्च्यात करवाचौथ की कथा अवश्य सुनें।
- कथा सुनने से पहले करवे पर रोली से एक स्वास्तिक बनाएं और 13 बिंदिया करवे पर लगाएं।
- कथा कभी भी खाली हाथ नही सुन्नी चाहिए, कथा सुनते वक्त हथेली में चावल या गेहूं के 13 दाने अवश्य रखें।
- पूजा के पश्चात छलनी से चंद्रमा को देखें फिर उसी छलनी से अपने पति को देखें।
- पूजा के पश्च्यात पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोलने का विधान हैं।
करवाचौथ व्रत कथा
करवा चौथ की कहानी बताती है कि अपने पति के साथ देवी करवा एक नदी जिसका नाम तुंगभद्रा था उसके पास रहती थीं। जब करवा के पति एक दिन नदी में स्नान करने गए, तो उनका पैर एक मगरमच्छ ने पकड़ लिया और उन्हें नदी में खिंचने लगा। मृत्यु के करीब आते देखकर करवा के पति उसे पुकारने लगे। करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं और मृत्यु के मुंह में अपने पति को ले जाते देखा। मगरमच्छ को करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर एक पेड़ से बांध दिया। करवा के सतीत्व की वजह से मगरमच्छा कच्चे धागे में ऐसा बंधा कि कुछ नहीं कर पाया। मगरमच्छ और करवा का जीवन खतरे में था।
माता करवा ने यमराज से विनती किया कि वे मगरमच्छ को मृत्युदंड दे और उनके पति को जीवनदान दें। यमराज ने उत्तर दिया कि ऐसा संभव नहीं हैं क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु बाकी है और आपके पति की उम्र पूरी हो चुकी है, इसपर करवा ने क्रोधित होकर यमराज से कहा, अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको शाप दे दूंगी, देवी करवा के शाप से भयभीत होकर यमराज ने उनके पति को जीवनदान दिया और मगरमच्छ को मृत्यु देकर यमलोक भेज दिया उसी दिन से सुहागन स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु और समृद्ध जीवन के लिए करवाचौथ का निर्जला व्रत रखती हैं और माता से प्रार्थना करती हैं-
हे माता, जैसे आपने अपने पति को मौत से बचाया वैसे ही मेरी सुहाग की भी रक्षा करो। हे करवा माता, जैसे आपने अपने पति को मौत से बचाया वैसे ही मेरी सुहाग की भी रक्षा करो।
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महाभारत काल में द्रौपदी ने पांडवों के लिए किया करवाचौथ का व्रत
महाभारत की कहानी बताती है कि अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या कर रहें थें। उस समय पांडवों के जीवन में कई तरह की समस्या उत्पन्न होने लगी थी। तब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से पांडवों के जीवन से संकट को दूर करने का निवारण पूछा। तब कन्हैया द्रौपदी को कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवाचौथ का व्रत करने को कहा और द्रौपदी ने पूरे विधि विधान से व्रत किया जिसके फलस्वरूप पांडवों को अपने जीवन में आए संकटों से मुक्ति मिल गयी।
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करवाचौथ कब हैं?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, करवाचौथ का व्रत प्रतिवर्ष कार्तिक माह के कृष्णा पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता हैं। इस वर्ष 01 नवम्बर 2023, दिन बुधवार को करवाचौथ का व्रत पड़ रहा हैं।
करवाचौथ व्रत क्यों रखते हैं ?
विवाहित महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं, और रीति-रिवाजों का पालन करती हैं ताकि उनके पति की उम्र लंबी हो।
अहोई अष्टमी का व्रत कब किया जाता है?
करवा चौथ के चार दिन बाद लड़कों की रक्षा के लिए अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है।