तीज त्यौहारनवरात्रि के नौ दिनों के लिए कौन से रंग भाग्यशाली हैं? भाग्यशाली रंगों की सूची और उनका क्या अर्थ है
शैलपुत्री देवी का प्रथम रूप हैं। उन्हें नारंगी रंग बहुत पसंद है। नारंगी रंग शक्ति, त्याग और आराम का प्रतीक है।
ब्रह्मचारिणी देवी का दूसरा स्वरुप हैं। उन्हें सफेद रंग बहुत पसंद है। सफ़ेद रंग शांति का प्रतीक होता हैं।
चंद्रघंटा देवी का तीसरा स्वरुप हैं। उन्हें लाल रंग बहुत पसंद है। लाल रंग शक्ति और क्रोध का प्रतीक है।
कुष्मांडा देवी का चौथा स्वरुप हैं। देवी कुष्मांडा को वास्तव में नीला रंग बहुत पसंद है। देवी कुष्मांडा जिनसे खुश होती है उन्हें और धन देती हैं।
स्कंदमाता देवी का पांचवा स्वरुप हैं। उन्हें पीला रंग बेहद पसंद हैं। भगवान स्कंद कुमार अर्थात कार्तिकेय की माँ होने के कारण माता दुर्गा के इस पांचवें रूप को स्कंद माता के नाम से जाना जाता हैं।
कात्यायनी देवी का छठा स्वरुप हैं। उन्हें वास्तव में हरा रंग पसंद है। मां का यह स्वरूप बेहद शांत और हृदय को सुख देने वाला हैं।
कालरात्रि देवी का सातवां स्वरुप है। उनका पसंदीदा रंग भूरा है। माँ कालरात्रि मनुष्य के जीवन से बुराई और अन्धकार से छुटकारा दिलाती हैं
महागौरी देवी का आठवां स्वरुप हैं, माता को बैंगनी रंग पसंद है। बैंगनी रंग खुशी और अच्छे स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है।
सिद्धदात्री देवी का नौवां स्वरुप है। माता को मोर के जैसे चमकीला हरा रंग बेहद पसंद हैं। यह रंग दया, प्रेम और शांति सभी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
शास्त्रों में आठ प्रकार की सिद्धियों का वर्णन किया गया हैं जो माँ सिद्धदात्री की पूजा करके ही प्राप्त की जा सकती हैं