अच्छी फसल की कामना के लिए यह व्रत शुरू हुआ

जानिए करवा चौथ से जुड़ी परंपराए…

ये त्योहार रबी की फसल की शुरुआत में होता है। इस वक्त गेहूं की बुवाई भी होती है। गेहूं के बीज को मिट्टी के बड़े बर्तन में रखते हैं, जिसे करवा भी कहते हैं। 

जानकारों का मत है कि ये पूजा अच्छी फसल की कामना के लिए शुरू हुई। बाद में महिलाएं सुहाग के लिए व्रत रखने लगीं। 

ये भी कहा जाता है कि पहले सैन्य अभियान खूब होते थे। सैनिक ज्यादातर समय घर से बाहर रहते थे। ऐसे में पत्नियां अपने पति की सुरक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत रखने लगीं।

करवा चौथ पर चांद की ही पूजा क्यों ?

पुराणों के मुताबिक चंद्रमा प्रेम और पति धर्म का भी प्रतीक है। इसलिए सुहागिनें पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में प्रेम की कामना से चंद्रमा की पूजा करती हैं। 

पति और चंद्रमा को छलनी से क्यों देखते हैं?

चंद्रमा को गणेश जी ने श्राप दिया था। चतुर्थी पर चंद्रमा को देखने से दोष लगता है। इससे बचने के लिए चांद को सीधे नहीं देखते और छलनी का इस्तेमाल किया जाता है।

करवे से पानी क्यों पीते हैं ?

दिनभर निर्जल रहने के बाद मिट्टी के बर्तन के पानी से पेट में ठंडक रहती है। धार्मिक नजरिए से देखा जाए तो करवा पंचतत्वों से बना होता है। इसलिए ये पवित्र होता है।

पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से चली आ रही है। इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई। जब यम आए तो सावित्री ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। तब से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने लगे।

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