अहोई अष्टमी कब हैं ? अहोई अष्टमी क्यों मनाया जाता हैं ? Download Ahoi Ashtami Vrat Katha in PDF

अहोई अष्टमी के दिन सभी माताएं संतान की दीर्घ आयु एवं सुख समृद्धि के लिए अहोई माता की पूजा करके यह निर्जला व्रत रखती हैं।प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता हैं। अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से आठ दिन पूर्व रखा जाता है। यह दिन अहोई देवी को समर्पित है।Download Ahoi Ashtami Vrat Katha in PDF अहोई अष्टमी कब हैं ? अहोई अष्टमी क्यों मनाया जाता हैं ? Download Ahoi ashtami Wish Images.

अहोई यानी कि अनहोनी का अपभ्रंश, देवी पार्वती अनहोनी को टालने वाली देवी मानी गई है इसलिए इस दिन वंश वृद्धि और संतान के सारे कष्ट और दुख दूर करने के लिए मां पार्वती और सेह माता की पूजा की जाती है।

अहोई अष्टमी कब हैं ? अहोई अष्टमी क्यों मनाया जाता हैं ? Download Ahoi Ashtami Vrat Katha in PDF Ahoi kya hai
इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाएगा।

सूर्योदय के साथ यह व्रत शुरु हो जाता है जो रात में तारों को देखने के बाद ही पूरा होता है। माताएं अहोई अष्टमी के व्रत में दिन भर उपवास रखती हैं और सायंकाल तारे दिखाई देने के समय होई का पूजन करती हैं। तारों को करवा से अर्घ्य भी दिया जाता है। यह होई गेरु आदि के द्वारा दीवार पर बनाई जाती है अथवा किसी मोटे वस्त्र पर होई काढ़कर पूजा के समय उसे दीवार पर टांग दिया जाता है।

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तिथि तारीख और दिन समय
अष्टमी तिथि प्रारम्भ17 अक्टूबर 2022, सोमवार प्रातः 09:29 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त18 अक्टूबर 2022, मंगलवार प्रातः 11:57 बजे
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त17 अक्तूबर 2022, सोमवार सायं 05:50 बजे से सायं 07:05 बजे तक
अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त

अहोई अष्टमी के व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन सही विधि से पूजा और व्रत करने से अहोई माता संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं। अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने से संतान के कष्टों का निवारण होता है एवं उनके जीवन में सुख− समृद्धि व तरक्की आती है। ऐसा माना जाता है कि जिन माताओं की संतान को शारीरिक कष्ट हो, स्वास्थ्य ठीक न रहता हो या बार− बार बीमार पड़ते हों अथवा किसी भी कारण से माता− पिता को अपनी संतान की ओर से चिंता बनी रहती हो तो माता द्वारा विधि− विधान से अहोई माता की पूजा− अर्चना व व्रत करने से संतान को विशेष लाभ होता है।

अहोई माता व्रत कथा PDF Downlad करें Download Ahoi Ashtami Vrat Katha in PDF माता पार्वती का स्वरुप है अहोई माता
अहोई अष्टमी के व्रत का महत्व

माता पार्वती का स्वरुप है अहोई माता

अहोई अनहोनी शब्द का अपभ्रंश है। अनहोनी को टालने वाली माता देवी पार्वती हैं। इसलिए इस दिन मां पार्वती की पूजा-अर्चना का भी विधान है। अपनी संतानों की दीर्घायु और अनहोनी से रक्षा के लिए महिलाएं ये व्रत रखकर साही माता एवं भगवती पार्वती से आशीष मांगती हैं। अहोई अष्टमी कब हैं ? अहोई अष्टमी क्यों मनाया जाता हैं ?

उत्तर भारत में Jitiya Jeetiya Jutiya Vrat Katha Hindi PDF जितिया/ ज्यूतिया / जिउतिया/ जीवित्पुत्रिका व्रत कथा, महत्व, मनाने का कारण, पूजा विधि Download PDF मनाया जाता हैं !

अहोई व्रत कथा

 प्राचीन काल में एक नगर में एक साहूकार रहा करता थाए उसके सात बेटे थे। सात बहुएं तथा एक पुत्री थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं और ननद मिट्टी लाने जंगल गईं, साहूकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु, साही अपने सात बेटों के साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए गलती से साहूकार की बेटी की खुरपी की चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गयाए स्याहु इस पर क्रोधित होकर बोली मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी। तब ननंद अपनी सातों भाभियों से बोली कि तुम में से कोई मेरे बदले अपनी कोख़ बंधा लो सभी भाभियों ने अपनी कोख बंधवाने से इंकार कर दिया परंतु सबसे छोटी भाभी सोचने लगी यदि मैं कोख न बंधाऊगी तो सासू जी नाराज होंगी। ऐसा विचार कर ननंद के बदले छोटी भाभी ने अपनी कोख बंधा ली।

उसके बाद जब उसे जो बच्चा होता वह सात दिन बाद मर जाता। एक दिन साहूकार की स्त्री ने पंडित जी को बुलाकर पूछा की क्या बात है मेरी इस बहु की संतान सातवें दिन क्यों मर जाती है तब पंडित जी ने बहू से कहा कि तुम काली गाय की पूजा किया करो। काली गाय स्याऊ माता की भायली हैं वह तेरी कोख छोड़े तो तेरा बच्चा जियेगा।

इसके बाद से वह बहु प्रातःकाल उठ कर चुपचाप काली गाय के नीचे सफाई आदि कर जाती। एक दिन गौ माता बोली कि आज कल कौन मेरी सेवा कर रहा है सो आज देखूंगी। गौमाता खूब तड़के जागी तो क्या देखती है कि साहूकार के बेटे की बहू उसके नीचे सफाई आदि कर रही है। गौ माता उससे बोली कि तुझे किस चीज की इच्छा है जो तू मेरी इतनी सेवा कर रही है।

मांग क्या चीज मांगती है। तब साहूकार की बहू बोली की स्याऊ माता तुम्हारी भायली है और उन्होंने मेरी कोख बांध रखी है। उनसे मेरी कोख को खुलवा दो। गौमाता ने कहा अच्छा तब गौ माता सात समुंदर पार अपनी भायली के पास उसको लेकर चली। रास्ते में कड़ी धूप थीए इसलिए दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर में एक साँप आया और उसी पेड़ पर गरुड़ पंखनी के बच्चे थे उनको मारने लगा।

तब साहूकार की बहू ने सांप को मार कर ढाल के नीचे दबा दिया और बच्चों को बचा लिया। थोड़ी देर में गरुड़ पंखनी आई तो वहां खून पड़ा देखकर साहूकार की बहू को चोंच मारने लगी। तब साहूकार की बहु बोली कि मैंने तेरे बच्चे को मारा नहीं है बल्कि सांप तेरे बच्चे को डसने आया था। मैंने तो तेरे बच्चों की रक्षा की है। यह सुनकर गरुड़ पंखनी खुश होकर बोली की मांग तू क्या मांगती है वह बोली सात समुंदर पार स्याऊ माता रहती है। मुझे तू उनके पास पहुंचा दें।

तब गरुड़ पंखनी ने दोनों को अपनी पीठ पर बैठा कर स्याऊ माता के पास पहुंचा दिया। स्याऊ माता उन्हें देखकर बोली की आ बहन बहुत दिनों बाद आई। फिर कहने लगी कि बहन मेरे सिर में जूं पड़ गई है। तब सुरही के कहने पर साहूकार की बहू ने सिलाई से उसकी जुएं निकाल दी। इस पर स्याऊ माता प्रसन्न होकर बोली कि तेरे सात बेटे और सात बहुएं हों।

सहुकारनी बोली कि मेरा तो एक भी बेटा नहीं। सात कहां से होंगे। स्याऊ माता बोली वचन दिया वचन से फिरूं तो धोबी के कुंड पर कंकरी होऊं। तब साहूकार की बहू बोली माता बोली कि मेरी कोख तो तुम्हारे पास बन्द पड़ी है ।

यह सुनकर स्याऊ माता बोली तूने तो मुझे ठग लिया। मैं तेरी कोख खोलती तो नहीं परंतु अब खोलनी पड़ेगी। जा तेरे घर में तुझे सात बेटे और सात बहुएं मिलेंगी। तू जा कर उजमान करना। सात अहोई बनाकर सात कड़ाई करना। वह घर लौट कर आई तो देखा सात बेटे और सात बहुएं बैठी हैं।

वह खुश हो गई। उसने सात अहोई बनाईं। सात उजमान किये। सात कड़ाई की। दिवाली के दिन जेठानियां आपस में कहने लगी कि जल्दी जल्दी पूजा कर लो। कहीं छोटी बहू बच्चों को याद करके रोने न लगे। थोड़ी देर में उन्होंने अपने बच्चों से कहा अपनी चाची के घर जाकर देख आओ की वह अभी तक रोई क्यों नहीं।

बच्चों ने देखा और वापस जाकर कहा कि चाची तो कुछ मांड रही है। खूब उजमान हो रहा है। यह सुनते ही जेठानियां दौड़ी− दौड़ी उसके घर गई और जाकर पूछने लगीं कि तुमने कोख कैसे छुड़ाई वह बोली तुमने तो कोख बंधाई नहीं मैंने बंधा ली अब स्याऊ माता ने कृपा करके मेरी कोख खोल दी।


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FAQ अहोई अष्टमी

अहोई माता किनका स्वरुप हैं ?

अहोई माता पार्वती मां का रूप हैं !

अहोई अष्टमी 2022 व्रत कब है?

इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाएगा।

अहोई क्या होता हैं ?

अहोई यानी कि अनहोनी का अपभ्रंश, देवी पार्वती अनहोनी को टालने वाली देवी मानी गई है इसलिए इस दिन वंश वृद्धि और संतान के सारे कष्ट और दुख दूर करने के लिए मां पार्वती और सेह माता की पूजा की जाती है।

अहोई अष्टमी के दिन कौन से उपाय करने से आपकी सारी मनोकामनाए पूरी होंगी ?

अहोई अष्टमी के दिन कौन से उपाय करने से आपकी सारी मनोकामनाए पूरी होंगी ?

संतान प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी के दिन माता अहोई के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करें। पूजन में इनको दूध-भात का भोग लगाएं।

पूजन के खाने में से एक हिस्सा गाय व उसके बछड़े के लिए निकालें।
 
सायंकाल के समय पीपल के पेड़ के नीचे 5 दीपक जलाएं और मन में मनोकामना बोलते हुए परिक्रमा करें।

अहोई अष्टमी पर माता को श्रृंगार का सामान अर्पित करें. ऐसा करने से संतान को उसके कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है
अहोई अष्टमी के दिन शिव योग का निर्माण हो रहा है इसलिए दंपति अष्टमी तिथि से लेकर भाई दूज तक हर रोज पारद शिवलिंग की ब्रह्म मुहूर्त पूजा-पाठ करें। पारद शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। 

अहोई अष्टमी के दिन पति-पत्नी साथ मिलकर अहोई माता को सफेद फूल चढ़ाएं और संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें।
 
संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले पति-पत्नी एक साथ अहोई अष्टमी का व्रत रखें और उस दिन चांदी के 7 से 9 मोतियों को लाल धागे में पिरोकर एक माला बना लें। इसके बाद उस माला को पूजन के समय माता अहोई को चढ़ाएं और संतान प्राप्ति की मनोकामना मांगे। पूजन करने के बाद माला को पत्नी के गले में पहना दें। ऐसा करने से माता अहोई का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति अहोई अष्टमी से लगातार 45 दिनों तक भगवान गणेश को हर रोज बेलपत्र चढ़ाएं। 
अहोई अष्टमी के दिन संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपति गोवर्धन परिक्रमा के दौरान मध्य रात्रि में राधा कुंड में अवश्य स्नान करें। ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

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