Prithviraj Chauhan Biography, History, Love and Life पृथ्वीराज चौहान का इतिहास, कहानी और जीवन परिचय Movie Review

पृथ्वीराज चौहान के पराक्रम और साहस के किस्से भारतीय इतिहास के पन्नों में  स्वर्णिम अक्षरों में लिखे गए हैं। वे आर्कषक कद-काठी के सैन्य विद्याओं में  निपुण एक शूरवीर योद्धा  थे। पृथ्वीराज चौहान के करीबी दोस्त एवं कवि चंदबरदाई ने अपनी काव्य रचना “पृथ्वीराज चौहान रासो” में यह भी उल्लेख किया है कि पृथ्वीराज चौहान अश्व व हाथी नियंत्रण विद्या में भी निपुण थे। पृथ्वीराज  चौहान ने अपने अद्भुत साहस और पराक्रम से दुश्मनों को धूल चटाई थी। आइए जानते हैं – पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय, पृथ्वीराज चौहान का इतिहास, पृथ्वीराज चौहान का सच, मुहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच युद्ध, तराईन का युद्ध, महम्मद गौरी की मृत्यु, पृथ्वीराज चौहान का शासन काल, Biography of Prithviraj chauhan, who defeted prithviraj chauhan, prithviraj chauhan wife, Chandravardai, Life of prithviraj chauhan, Love story of prithviraj chauhan , Prithviraj Chauhan Biography

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पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय (राज्यकाल)

पृथ्वीराज तृतीय (शासनकाल: 1178–1192) जिन्हें आम तौर पर पृथ्वीराज चौहान कहा जाता है, चौहान वंश के राजा थे। पृथ्वीराज चौहान का जन्म हिंदू धर्म के क्षत्रिय परिवार में हुआ था। उन्होंने 12 वीं शताब्दी में इन्होनें  अजमेर और दिल्ली जैसे  राज्यों पर शासन किया। 

पृथ्वीराज चौहान और तुर्क आक्रमणकारी मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी के बीच तकरीबन 17 बार युद्ध हुआ था और पृथ्वीराज चौहान ने सभी युद्ध में मोहम्मद गौरी को हराया था, परंतु सबसे आखरी युद्ध में जयचंद का साथ मिल जाने के कारण मोहम्मद गोरी की सेना पृथ्वीराज की सेना पर भारी पड़ने लगी। इस प्रकार इस युद्ध में मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया और उन्हें बंदी बना लिया गया। परंतु पृथ्वीराज चौहान ने अपनी जिंदगी के आखिरी समय में मोहम्मद गौरी की हत्या कर दी और उसके बाद अपने दोस्त चंद्रवरदाई के साथ अपनी जान दे दी।

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पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय Prithviraj Chauhan Biography

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Prithviraj Chauhan Biography

पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय Prithviraj Chauhan Biography

प्रश्नउत्तर
अन्य नामराय पिथौरा, भारतेश्वर, अंतिम हिंदू सम्राट
जन्म1 जून 1149 (As claimed in Various Sources)
जन्म स्थानगुजरात राज्य (भारत)
माता का नामकर्पुरा देवी (कर्पूरी देवी)
पिता का नामराजा सोमेश्वर चौहान
धर्महिंदू
मृत्यु तिथि11 मार्च 1192
मृत्यु स्थलअजयमेरु (अजमेर), राजस्थान
पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय

पृथ्वीराज चौहान का जन्म, परिवार एवं शुरुआती जीवन (Birth, Family and Early Life)

हिंदुस्तान के महान, पराक्रमी, शूरवीर साहसी योद्धा का जन्म चौहान वंश के शासक सोमेश्वर के घर 1149 में हुआ था। उनके पिता राजा सोमेश्वर उस समय राजस्थान में अजमेर राज्य के राजा थे, उनकी माता का नाम कर्पूरी देवी था। पृथ्वीराज का जन्म उनके माता पिता के विवाह के 12 वर्षो के पश्चात हुआ, इसलिए राज्य में यह खलबली का कारण बन गया क्यूकि  उनका जन्म होने से कई लोगों को उनका अजमेर का उत्तराधिकारी बनना असंभव लगने लगा और इसीलिए राज्य में लोगो ने उनके जन्म से ही उनके खिलाफ षड्यंत्र रचना चालू कर दिया परंतु पृथ्वीराज चौहान के आगे किसी की भी साजिश कामयाब नहीं हुई।

 मात्र 11 वर्ष की आयु मे पृथ्वीराज के  पिता की मृत्यु  हो गयी, जिसके बाद वे अजमेर के उत्तराधिकारी बने और राज्य का सारा कार्य भाल संभाला और अपनी प्रजा की  सभी उम्मीदों पर खरे उतरे। उन्होंने लगातार अन्य राजाओ को पराजित कर अपने राज्य का विस्तार करते गए।

पृथ्वीराज चौहान को अंतिम हिंदू सम्राट और राय पिथौरा भी कहा जाता है। यह एक महान पराक्रमी और शूरवीर हिंदू राजपूत राजा थे। पृथ्वीराज चौहान का नाम उन गिने-चुने राजाओं में लिया जाता है जिन्हें शब्दभेदी बाण विद्या आती थी।

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महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जीवनी

पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई की मित्रता (Prithviraj Chauhan and Chadravardai Friendship)

पृथ्वीराज और उनके बचपन के मित्र चंद्रवरदाई के बीच में बहुत ही प्रेम था। वो उनके लिए किसी भाई से कम नहीं थे । बता दें कि चंद्रवरदाई तोमर वंश के शासक अनंगपाल की बेटी के पुत्र थे। चंद्रवरदाई आगे चलकर के दिल्ली के शासक बनें और  वहाँ का कार्यभार संभाला, साथ ही पृथ्वीराज चौहान की सहायता से उन्होंने पिथौरागढ़ का निर्माण करवाया जिसे वर्तमान के समय में पुराने किले के नाम से जाना जाता है।

पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली पर उत्तराधिकार (Prithviraj Chauhan Succession to Delhi)

कपूरी देवी अपने पिता अंगपाल की एकमात्र संतान थी, इसलिए महाराजा यह चिंता थी कि उनकी मृत्यु के पश्च्यात  उनके राज्य पर शासन कौन करेगा।

इस प्रकार विचार करते हुए उन्होंने एक दिन अपनी बेटी और अपने दामाद के सामने अपने दौहित्र को अपना उतराधिकारी बनाने की इच्छा जाहिर की और तीनों की सहमति से पृथ्वीराज चौहान को उत्तराधिकारी बना दिया गया।

सन 1166 में महाराजा अंगपाल की मौत के पश्च्यात पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली के शासक के रूप में  राज्य अभिषेक पूरे वैदिक मंत्रोचार के साथ किया गया।

पृथ्वीराज चौहान और राजकुमारी संयोगिता की प्रेम कहानी (Love Story of Prithviraj Chauhan and Sanyogita )

पृथ्वीराज चौहान और रानी संयोगिता की प्रेम कहानी की आज भी मिसाल दी जाती है, क्योंकि दोनों ही एक-दूसरे से बिना मिले एक-दूसरे की तस्वीरों को देखकर मोहित हो जाते हैं और आपस में अटूट प्रेम करते हैं।

जब इस बात की जानकारी संयोगिता के पिता राजा जयचंद को हुई तो वह काफी क्रोधित हुए, क्योंकि वह पहले से ही महाराजा पृथ्वीराज चौहान से जलन का भाव रखते थे और इसीलिए वह पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता के संबंध के सख्त खिलाफ थे।

इस बात की खबर होने के बाद उन्होंने अपनी बेटी संयोगिता के विवाह के लिए स्वयंवर करने का फैसला लिया।

उन्होंने अपनी बेटी के स्वयंवर के लिए देश के कई छोटे-बड़े महान योद्धाओं को निमंत्रण भेजा , लेकिन पृथ्वीराज चौहान को अपमानित करने के लिए उन्हें निमंत्रण नहीं भेजा, और द्वारपालों  के स्थान पर पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति लगवा दीं।

उस समय हिन्दू धर्म में लड़कियों को अपना मनपसंद वर चुनने का अधिकार था, वह अपने स्वयंवर में जिस भी व्यक्ति के गले में माला डालती थी, वो उसकी रानी बन जाती थी और उस में कोई हस्तछेप नहीं कर सकता था।

स्वयंवर के दिन जब कई बड़े-बडे़ राजा, अपने सौंदर्य के लिए पहचानी जाने वाली राजकुमारी संयोगिता से विवाह करने के लिए शामिल हुए, स्वयंवर में जब संयोगिता अपने हाथों मे वरमाला लेकर एक-एक कर सभी राजाओं के पास से गुजरी तब उनकी नजर द्वार  पर खड़े पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति पर पड़ी, तब उन्होंने द्वारपाल  बने पृथ्वी राज चौहान की मूर्ति पर हार डाल दिया, जिसे देखकर स्वयंवर में आए सभी राजा खुद को अपमानित महसूस करने लगे।

वहीं पृथ्वीराज चौहान अपनी गुप्त योजना के मुताबिक  द्वारपाल की प्रतिमा के पीछे खड़े थे और वरमाला उनके गले में पड़ गई।

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संयोगिता का स्वयंवर

संयोगिता द्वारा पृथ्वीराज के गले में वरमाला डालते देख, उनके पिता जयचंद्र बहुत क्रोधित हुए। वह अपनी तलवार लेकर राजकुमारी को मारने के लिए आगे बढे, लेकिन इससे पहले की वो संयोगिता तक पहुँचते पृथ्वीराज संयोगिता को अपने साथ लेकरअपनी राजधानी दिल्ली में चले गए।

इसके बाद राजा जयचंद गुस्से से आग बबूला हो गए और इसका बदला लेने के लिए उनकी सेना ने पृथ्वीराज चौहान का पीछा किया, लेकिन उनकी सेना महान पराक्रमी पृथ्वीराज चौहान को पकड़ने में असमर्थ रहे, वहीं जयचंद के सैनिक पृथ्वीराज चौहान का बाल भी बांका नहीं कर सके।

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संयोगिता और पृथवीराज चौहान

पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता का विवाह (Prithviraj Chauhan and Sanyogita Marriage)

इसके बाद दिल्ली में आकर के दोनों का हिंदू विधि विधान से विवाह संपन्न हुआ और इसके बाद तो जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच काफी ज्यादा दुश्मनी बढ़ गई।

हालांकि, इसके बाद राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच साल 1189 और 1190 में भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और दोनो सेनाओं को भारी नुकसान हुआ।  

पृथ्वीराज चौहान की पराक्रमी सेना (Prithviraj Chauhan Army)

पृथ्वीराज चौहान खुद तो एक पराक्रमी ,शूरवीर योद्धा थे, साथ ही उनकी सेना भी अत्यंत विशाल थी। प्राचीन लेखों के अनुसार उनकी  सेना में करीब 300 हाथी और 3,00000 से भी ज्यादा शूरवीर सैनिक शामिल थे। उनकी सेना में घोड़ो का भी अच्छा खासा महत्त्व था ।

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Prithaviraj Chauhan and His Army

पृथ्वीराज चौहान की सेना काफी विशाल, संगठित और मजबूत थी । अपनी इसी विशाल सेना के दम पर पृथ्वीराज चौहान ने न सिर्फ कई युद्ध जीते बल्कि अपने राज्य का विस्तार भी किया ।

पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी की पहली लड़ाई (Prithviraj Chauhan and Mohammad Gauri 1st Fight)

चौहान वंश के शासक पृथ्वीराज  चौहान  ने अपने शासनकाल में अपने राज्य को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया था, उन्होंने अपनी कुशल नीतियो के चलते अपने राज्य का विस्तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

पृथ्वीराज चौहान लगातार अपने राज्य का विस्तार करते पंजाब जा पहुंचे, जहां पर उस समय मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी का शासन चल रहा था।

पंजाब पर अधिकार करने की इच्छा के साथ पृथ्वीराज चौहान ने अपनी शूरवीर सेना को लेकर के मोहम्मद गौरी के ऊपर आक्रमण कर दिया और इस हमले युद्ध के बाद  पृथ्वीराज चौहान ने हांसी, सरस्वती और सरहिंद पर अपना राज्य स्थापित किया। लेकिन इसी बीच अनहिलवाड़ा में जब मुहम्मद ग़ोरी की सेना ने हमला किया, तब पृथ्वीराज चौहान का सैन्य बल कमजोर पड़ गया।  जिसके चलते पृथ्वराज चौहान को सरहिंद के किले से अपना अधिकार खोना पड़ा।

बाद में पृथ्वीराज चौहान ने अकेले ही मुहम्मद गौरी का वीरता के साथ मकुाबला किया, जिसमें मोहम्मद गौरी बुरी तरह घायल हो गया और उसके पश्च्यात उसे युद्ध छोड़कर भागना पड़ा। इस प्रकार कहा जा सकता है कि इस युद्ध  में मोहम्मद गौरी की बहुत ही भारी पराजय हुई थी।

मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच यह युद्ध सरहिंद नाम की जगह पर तराइन नाम के इलाके में हुआ था। इसीलिए इसे तराइन का पहला युद्ध भी कहा जाता है।

इस युद्ध में तकरीबन 7 करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति पृथ्वीराज चौहान ने हासिल की थी जिसमें से कुछ उसने अपने पास रखी थी और बाकी अपने सैनिकों में बांट दी थी।

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मुहम्मद गौरी और पृथवीराज चौहान के बीच युद्ध

पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी दूसरी लड़ाई (Prithviraj Chauhan and Mohammad Gauri 2nd Fight)

जब पृथ्वीराज चौहान ने स्वयंवर से पहले जयचंद की पुत्री संयोगिता का उसकी मर्जी से अपहरण कर लिया तो जयचंद पृथ्वीराज चौहान से काफी ज्यादा नफरत (Hate) करने लगा । वो पृथ्वीराज के खिलाफ अन्य राजपूत राजाओ को भी भड़काने लगा ।

जब उसे मुहम्मद गौरी और पृथ्वीराज के युद्ध के बारे मे पता चला, तो वह पृथ्वीराज के खिलाफ मुहम्मद गौरी से जा मिला और दोनों ने मिलकर 2 साल बाद सन 1192 मे पुनः पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया । यह युध्द भी तराई के मैदान मे हुआ ।

इस युध्द के समय जब पृथ्वीराज के मित्र चंदबरदाई ने अन्य राजपूत राजाओ से मदद मांगी, तो संयोगिता के स्वयंवर मे हुई घटना के कारण उन्होने भी उनकी मदद से मना  कर दिया । ऐसे मे पृथ्वीराज चौहान अकेले पड़ गए और उन्होने अपने 3 लाख सैनिको के द्वारा गौरी की सेना का सामना किया।

क्यूकि गौरी की सेना मे अच्छे घुड़ सवार थे, उन्होने पृथ्वीराज की सेना को चारो ओर से घेर लिया  और जयचंद का साथ मिल जाने के कारण उसे कई गुप्त बातें भी पता चल चुकी थी। ऐसे मे पृथ्वीराज चौहान की सेना न आगे बढ़  पायी न ही पीछे हट पाई और जयचंद्र के गद्दार सैनिको ने राजपूत सैनिको का ही संहार किया और पृथ्वीराज की हार हुई । यह युद्ध भी तराइन में हुआ था इसीलिए इसे तराइन का द्वितीय युद्ध कहा जाता है।

युध्द के बाद पृथ्वीराज और उनके मित्र चंदबरदाई को बंदी बना लिया गया । राजा जयचंद्र को भी उसकी गद्दारी का परिणाम मिला और मुहम्मद गौरी ने उसे भी मार डाला गया । अब पूरे पंजाब, दिल्ली, अजमेर और कन्नौज में गौरी का शासन था।

पृथ्वीराज चौहान की शब्दभेदी बाण विद्या  (Prithviraj Chauhan’s Word of Mouth Science)

मुहम्मद गौरी से युद्ध में हारने के पश्च्यात पृथ्वीराज चौहान और उनके साथी चंद्रवरदाई को मोहम्मद गौरी के सैनिकों के द्वारा बंदी बना लिया गया और  उन्हें कई दिनों तक जेल में रखा गया। पृथ्वीराज चौहान से  एक साल पहले हुई अपनी हार का बदला लेने के लिए गौरी  ने पृथ्वीराज को अंधा बनाने का फैसला किया और उसने उनकी आँखों में लोहे की गर्म सलाखें डाल दी।

कुछ समय पश्च्यात मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज के  शब्दभेदी बाण विद्या का पता चला , गौरी  ने इस तथ्य की जांच करने का फैसला किया और वह पृथ्वीराज को दरबार में पेश किया गया, जहां पर मोहम्मद गौरी ने  पृथ्वीराज से कहा गया कि- “मैंने सुना है कि तुम्हें शब्दभेदी बाण विद्या आती है, मुझे देखना है कि आखिर तुम यह कैसे कर लेते हो।“

इस पर चंद्रवरदाई ने कहा कि, जी हां महाराज पृथ्वीराज चौहान जी को शब्दभेदी बाण विद्या आती है। वह सभा भीड़ से भरी हुई थी और लोग इस घटना को देखने के लिए उत्सुक थे। इसके बाद मोहम्मद गौरी के आदेश पर तांबे की बड़ी-बड़ी थालियां पीटी जाने लगी और पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण विद्या की सहायता से हर तांबे की थाली पर सटीक निशाना लगाया।

इसके बाद चंद्रवरदाई ने पृथ्वीराज चौहान से कहा-

“चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुको चौहान”

मतलब (4 बांस 24 गज, और 8 उंगलियां)

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मुहम्मद गौरी की मृत्यु क लिए चंद्रवरदाई द्वारा कहा गया दोहा

यह वह ऊँचाई थी जिसपर सुलतान मोहम्मद गोरी बैठा था। इन पंक्तियों ने पृथ्वी राज को गोरी की ऊँचाई कि बहुत जरूरी स्थिति को बता दिया। और जैसे ही गोरी बाण चलाने के लिए आदेश दिया पृथ्वीराज ने आवाज़ की दिशा में बाण मारा जो सीधा मोहम्मद गौरी के गले में जाकर लगा जिसके कारण मोहम्मद गौरी की सिंहासन पर बैठे बैठे ही मृत्यु हो गई। 

पृथ्वीराज चौहान और चंद्र बरदाई की मृत्यु (Prithviraj Chauhan and Chandravardai Death)

जब पृथ्वीराज चौहान  ने शब्दभेदी बाण विद्या की सहायता से मोहम्मद गौरी की उसके ही दरबार में हत्या कर दी । तब  मोहम्मद गौरी के सैनिकों ने पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई को घेरना चालू कर दिया। इस प्रकार तुर्क लोगों के हाथों मरने से अच्छा दोनों  ने अपने  आप ही अपनी Jeevan लीला को समाप्त लिया। दूसरी तरफ जब महारानी संयोगिता को पृथ्वीराज चौहान और चंद्रबरदाई की मृत्यु की जानकारी हुई तो उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए

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महान शासक पृथ्वीराज चौहान

Samrat Prithviraj Movie Review:

फिल्म सम्राट पृथ्वीराज 3 जून, 2022 को दुनिया भर में रिलीज हुई हैं । सुपरस्टार अक्षय कुमार ने इस फिल्म में  महान योद्धा पृथ्वीराज चौहान की भूमिका निभाई  हैं, फिल्म देशभक्ति और बहादुरी के बारे में है । जिसमें निर्दयी आक्रमणकारी मुहम्मद गौरी के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी  गई, भव्य मानुषी ने अपनी प्यारी संयोगिता की भूमिका निभाई। पृथ्वीराज रासो पर आधारित, फिल्म राजा पृथ्वीराज चौहान की कहानी बताती है, जिन्होंने विदेशी आक्रमण और कैद से अपने गौरव और मिट्टी की रक्षा के लिए मुहम्मद गौरी के साथ संघर्ष करने पर अपना सब कुछ दे दिया था।

यह यशराज फिल्म्स है और दर्शकों को फिर से एक ऐतिहासिक नाटक का शानदार अनुभव देगी । सहायक कलाकारों में संजय दत्त, सोनू सूद आदि शामिल हैं । अभिनेता मानव विज मुहम्मद गौरी की भूमिका निभा रहे हैं । फिल्म का लेखन और निर्देशन चंद्रप्रकाश द्विवेदी  ने किया है।

Frequently asked Questions FAQ

Q : जयचंद पृथ्वीराज चौहान से नफरत क्यों करता था?

Ans : चूंकि संयोगिता जयचंद्र की पुत्री थी ।इसलिए स्वयंवर से पहले संयोगिता का उसकी मर्जी से अपहरण कर लेने की वजह से जयचंद पृथ्वीराज चौहान से नफ़रत करता था।

Q : पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी को कितनी बार हराया था?

Ans : 17 बार

Q : पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी को बार-बार क्यों छोड़ देते थे?

Ans : दयालुता और उदारता के कारण

Q : पृथ्वीराज चौहान किस जाति के थे?

Ans : हिंदू राजपूत

Q : पृथ्वीराज चौहान के घोड़े का नाम क्या था?

Ans : नत्यरंभा

Q : पृथ्वीराज चौहान के गुरु का नाम क्या था?

Ans : राम जी

Q : पृथ्वीराज चौहान की कितनी पत्नियां थी?

Ans : 17

Q : मोहम्मद गौरी की मृत्यु कैसे हुई थी?

Ans : पृथ्वीराज चौहान के द्वारा शब्दभेदी बाण मारने के कारण। (उपरोक्त तथ्य विवादित हैं कृपया यह लेख पढ़े)

Q : पृथ्वीराज चौहान के पिता जी कौन थे?

Ans : सोमेश्वर चौहान

Q : पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी संयोगिता का क्या हुआ?

Ans : पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु की खबर पाने के बाद संयोगिता ने भी अपने प्राण त्याग दिए।

Q : पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु कब हुई?

Ans : 11 मार्च 1192

Q : पृथ्वीराज चौहान के बेटे का नाम क्या था?

Ans : गोविंद चौहान

Q. पृथ्वीराज चौहान कौनसे वंश के शासक थे?

Ans: राजपूत चौहान  वंश।

Q. किस के द्वारा कहे गये दोहे के आधार पर पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को मार दिया था? 

Ans: चंदबरदाई। उपरोक्त तथ्य विवादित हैं कृपया यह लेख पढ़े

Q. आयु के कौनसे वर्ष मे पृथ्वीराज चौहान की मृत्यू हुई थी? 

Ans: 29वें  वर्ष मे।

Q. मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ युध्द कौनसे नामसे इतिहास मे प्रसिध्द है? 

Ans: तराई का युध्द।

Q. पृथ्वीराज चौहान का जन्म कब और कहाँ  हुआ था? 

Ans: 1 जून 1163 को पाटण, गुजरात में हुआ था

Q:  पृथ्वीराज चौहान कहाँ के राजा थे?

Ans: पृथ्वीराज चौहान एक क्षत्रीय राजा थे, जो 11 वीं शताब्दी में 1178-92 तक एक बड़े साम्राज्य के राजा थे. ये उत्तरी अमजेर एवं दिल्ली में राज करते थे

Q: पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु कैसे हुई?

Ans: युध्द के पश्चात पृथ्वीराज को बंदी बनाकर उनके राज्य ले जाया गया, वही पर यातना के दौरान उनकी मृत्यु हो गई ।

दोस्तों, आशा करती हूँ Prithviraj Chauhan Biography, History, Love and Life पृथ्वीराज चौहान का इतिहास, कहानी और जीवन परिचय Movie Review, Frequently asked questions पसंद आई होगीं । कृपया इसे अपने मित्रो और परिवारजनों से share करें।

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