Uniform Civil code समान नागरिकता क़ानून क्या है और मुसलमान इसका विरोध क्यों करते है?

मित्रो, Common Civil Code या Uniform Civil Code भारत में आज चर्चा का विषय हैं इसके बारे में लोगो की राय भी बहुत बंटी हुई हैं और पक्ष और विपक्ष में तर्क जानना बहुत जरूरी है। मुसलमान इसका विरोध क्यों करते है? वैसे तो देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात करने वाली समान नागरिक संहिता के केंद्रीय स्तर पर लागू होने की बात अभी दूर की कौड़ी नजर आती है हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के मुताबिक, देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) ज़रूरी और अनिवार्य रूप से आवश्यक है, इस टिप्पणी के बाद भारत में समान नागरिक संहिता की घटना को समझने की ज़रूरत बढ़ गई है।

Uniform Civil code समान नागरिकता क़ानून क्या है और मुसलमान इसका विरोध क्यों करते है?

आइये जानते और समझते हैं कि Uniform Civil code समान नागरिकता क़ानून क्या है और इसका लागू होना क्यों जरुरी है?

Uniform Civil Code समान नागरिकता कानून क्या हैं?

समान नागरिकता कानून Uniform Civil Code का मतलब देश में रहने वाले हर नागरिक के लिए क़ानून समान होना चाहिए, चाहे वो किसी भी धर्म का हो ।

Uniform civil code में शादी, तलाक, जमीन जायदाद के बँटवारे या बच्चा गोद लेने जैसे सामाजिक मामलों पर सभी धर्मो में एक ही कानून लागू होगा। uniform civil code एक निष्पक्ष कानून है जो सभी धर्मों के लिए एक होगा।

जबकि भारत में अभी सभी धर्मो के किये अलग अलग कानून है, जमीन, जायदाद, शादी, तलाक जैसे कई मुद्दों के नियम मुस्लिम, पारसी और इसाइयों के अपने अलग अलग लॉ हैं ।

हिंदू सिविल लॉ के अंतर्गत हिंदू, सिख और जैन आते हैं।

                      भारत में गोवा एक ऐसा राज्य है जहाँ Uniform Civil Code लागू हैं ।  

भारतीय संविधान में Article 44 क्या कहता हैं?

जैसा की हम जानते है की भारत एक धर्म निरपेक्ष देश हैं ।  संविधान बनाते समय u Uniform Civil Code सामान नागरिक कानून का जिक्र आर्टिकल 44 में किया गया हैं । राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों से सम्बंधित इस आर्टिकल में कहा गया है कि राज्य भारत के संपूर्ण राज्य के नागरिकों को एक समान नागरिक संहिता Uniform Civil Code प्रदान करने का प्रयास करेगा ।

भारतीय संविधान में Article 44 क्या कहता हैं? Desigyani
Why Common Civil Code necessary in India Supreme Court
Uniform Civil code समान नागरिकता क़ानून क्या है और मुसलमान इसका विरोध क्यों करते है?
Article 44 भारतीय संविधान

Argument in favor of Uniform Civil Code समान नागरिकता क़ानून के पक्ष में तर्क

देश में सामान नागरिक कानून के पक्ष में बहुसंख्य लोग है वही देश के अल्पसंख्यक इसके विरोध में है ।

समान नागरिकता कानून के पक्ष में सबसे बड़ा तर्क यह है कि इससे देश में रहने वाले हर व्यक्ति में समानता आएगी चाहे वो किसी भी धर्म का हो ।  इससे देश में रहने वाले हर नागरिक में एकता बढ़ेगी और एक दूसरे के प्रति भेद भाव ख़त्म होगा जिससे देश में विकास होगा ।

शादी, तलाक, जमीन जायदाद का बंटवारा, सम्पति में अधिकार, बच्चा गोद लेना और भी ऐसे सामाजिक मामले में सबका सामान अधिकार होगा चाहे वो किसी भी धर्म का हो ।

Argument against Uniform Civil Code समान नागरिकता क़ानून के विपक्ष में तर्क

Uniform Civil Code का विरोध सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय कर रहा हैं । उनमे से मुस्लिम समुदाय यह तर्क दे रहा है की यह संविधान के आर्टिकल 25 का उल्लंघन कर रहा है । Article 25 में कहा गया है की देश में रहने वाले सभी नागरिको को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है । इसीलिए सभी पर सामान कानून लागू करना संविधान के साथ खिलवाड़ हैं करने जैसा हैं । मुस्लिमो के मुताबिक उनके अपने कानून उनकी धार्मिक आस्था पर निर्धारित हैं इसलिए Uniform Civil Code लागू करके उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करें।  

समान नागरिक कानून लागू करना क्यों जरुरी है?

अलग-अलग धर्मों के अलग अलग कानून होने से न्यायपालिका पर बहुत बोझ पड़ता है। समान नागरिक कानून लागू होने से इस परेशानी से छुटकारा मिल आएगा और अदालतों में कई वर्षों के pending cases का फैसला जल्दी हो जाएगा।

Uniform Civil Code के लागू होने से देश में रहने वाले हर व्यक्ति में समानता आएगी चाहे वो किसी भी धर्म का हो । इससे नागरिकों में एकता बढ़ेगी और एक दूसरे के प्रति भेद भाव ख़त्म होगा आपसी सौहार्द बढेगा जिससे देश विकसित होंगा।

UCC पर बीजेपी के विचार

वर्तमान में, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जो 2014 से सत्ता में है, ने अपने आम चुनावी घोषणापत्र में कहा था कि

“बीजेपी का मानना ​​​​है कि जब तक भारत एक समान नागरिक संहिता को नहीं अपनाता है, तब तक देश में लैंगिक समानता नहीं आ सकती है, यह देश की सभी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है और भाजपा एक समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो सर्वोत्तम परंपराओं पर आधारित है और उन्हें आधुनिक समय के साथ सामंजस्य स्थापित करने का मौका देती है.”

भाजपा 2014 घोषणापत्र
भाजपा के तीन मुख्य मुद्दे थे अयोध्या में राम मन्दिर, धारा 370 और समान नागरिक संहिता, इनमे से दो पूरे हो चुके हैं सिर्फ समान नागरिक संहिता बाकी हैं यह अनुमान है कि 2023 के अंत तक बीजेपी इसे कानूनी जामा पहनाने के लिए संसद में पेश करेगी 

वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होगा

समान कानून लागू होने से देश के हर एक व्यक्ति पर और यहाँ की राजनीति पर भी बड़ा असर पड़ेगा  राजनीतिक पार्टियाँ वोट बैंक वाली राजनीति नहीं कर सकेंगे जो की हमारे देश में धर्म के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करना बहुत आसान हैं और वोटों का ध्रुवीकरण भी नहीं होगा।

महिलाओं की स्थिति में सुधार

जैसा कि हम जानते हैं कुछ धर्मो में महिलाओं के अधिकार बहुत सीमित हैं और वो अपने हक़ के लिए आवाज भी नही उठा सकती हैं। सामान नागरिक कानून आने से महिलाओं की स्थिति में बहुत सुधार आएगा। शादी विवाह के मामलों में, पुनर्विवाह, तलाक, पिता की सम्पति में अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान कानून होंगे । 

धार्मिक मान्यताओं पर फर्क नहीं आएगा

विरोध करने वाले बहुत से लोगो का मानना है की यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से लोगों की धार्मिक मान्यताओं पर फर्क पड़ेगा।

Uniform civil code लागू होने का ये मतलब बिलकुल भी नहीं है कि इसकी वजह से विवाह पंडित या मौलवी नहीं करवाएंगे। ये परंपराएं जैसी चली या रही थी वैसे ही होती रहेंगी। देश के नागरिकों के खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर इसका कोई असर नहीं होगा।

कुछ धार्मिक कट्टरपंथी इसे धार्मिक मान्यताओं के साथ छेड़छाड़ की पेश कर रहें है और देश के नागरिकों को इस कानून के विरूद्ध कर रहें हैं।

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के UCC पर विचार

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि भारत के संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को उसके धर्म के अनुसार जीवन व्यतीत करने की अनुमति दी है। इसे मौलिक अधिकारों में शामिल रखा गया है।

इसी अधिकारों के अंतर्गत अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों के लिए उनकी इच्छा और परंपराओं के अनुसार अलग-अलग पर्सनल ला रखे गए हैं, जिससे देश को कोई क्षति नहीं होती है, बल्कि यह आपसी एकता एवं बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच आपसी विश्वास बनाए रखने में मदद करता है।

मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने समान नागरिक संहिता को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी बताते हुए सरकार से इसे लागू न करने की अपील की है।

किन किन देशों में Uniform Civil Code लागू हैं?

जहाँ भारत में सामान नागरिक कानून को लेकर विवाद हो रहा हैं वहीँ  दूसरी तरफ विश्व में कई देशों ने Uniform Civil Code  लागू कर रखा हैं। जो निम्न हैं-

अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की , इंडोनेशिया, सूडान, इजिप्ट, जैसे कई देश हैं जिन्होंने समान नागरिक संहिता लागू किया है।

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